Saturday, February 25, 2017

लड़कियों ! इश्क करो

लड़कियों फ़र्क़ देखिए. आपके घरवाले आपके लिए जब देख-सुन के अपनी बिरादरी और धर्म का लड़का चुनते हैं तब आपके साथ कैसा सुलूक होता है.

आपको प्रदर्शन की वस्तु की तरह एक पूरे कुनबे के आगे पेश किया जाता है जो आपके शरीर को नापते-तौलते हैं. कोई कहता है ज़रा लंबी है, कोई कहता है ज़रा सांवली है, कोई कहता है चल के दिखाओ.
आपको क्या-क्या करना आता है इसकी फ़ेहरिस्त पेश की जाती है. सभी हुनर गिनाए जाते हैं.
आपकी शिक्षा और ट्रेनिंग, कितनी तनख़्वाह लाएगी इसकी चर्चा होती है.
आपके पिता-भाई कितने भी स्वाभिमानी हों लेकिन लड़कीवाले होने के नाते पहले दिन से अनंतकाल तक लड़केवालों के आगे झुकते रहेंगे, पगड़ी उतारते रहेंगे.
शादी में कितना ख़र्चा किया जाएगा इसकी गारंटी देते हैं घरवाले.
बारातियों के नख़रे, देखभाल, पकवानों की रेलम-पेल क्या होगी इसका ब्योरा दिया जाता है.
बारातियों को रिटर्न-गिफ्ट तय होता है.
बारातघर से लेकर फाइव स्टार होटल सब ‘लड़केवालों की शान’ बढ़ाने के हिसाब से तय होते हैं.
फिर आती है कैश, कार और सामान की लिस्ट. जिससे परिवार अक्सर क़र्ज़े में डूब जाता है.
इसी बीच आपके अपने परिवार के नाराज़ फूफा, रिश्तेदार अपना रंग दिखाने लगते हैं आपकी ग़रज़ समझ कर.
शादी के तथाकथित उत्सव के दौरान लड़की और परिवारवाले टेंशन में रहते हैं की बस किसी तरह सब ख़ैर से निपट जाए, कोई कमी ना जाए, इस वक़्त पैसे का मुंह नहीं देखना है.
अल्लाह-अल्लाह करके अगर शादी निपट भी जाए तो शुरू होता है आने-जाने के दौरान दामाद जी की राजाओं वाली आवभगत और लेन-देन बोझ.
सारी उम्र दान-भात, त्योहारी जाती रहती है.
आपके बच्चे हुए तो उनके मुंडन, जनेऊ, अक़ीक़ा से लेकर शादी तक बस देते जाने का एकतरफ़ा ट्रैफिक चलता रहता है.
इस बीच शादीशुदा ज़िंदगी में तमाम ऐसे मौक़े आते हैं जब पतिदेव जताते रहते हैं कि मुझे तो तू पसंद ही नहीं थी, बस मां-बाप को मना नहीं कर पाया.
ऐसे तानों के पीछे अक्सर घर से बाहर मुंह मारने की छूट लेना मक़सद होता है, कई मामलों में अवैध संबंध सामने आ जाते हैं, लेकिन अक्सर नहीं ही आते.

अब देखिए प्रेम विवाह में क्या होता है…

आपके घरवालों को बार-बार लड़की दिखाने के नाम पर नाश्ताख़ोरों से मुक्ति मिल जाती है.
कोई आपकी ज़ात-कुंडली-शिजरा नहीं देखता.
आपको किसी अनजान परिवार के सामने जाकर ख़ुद को ‘पास’ नहीं करवाना पड़ता.
कोई आपके रंग-रूप-शरीर पर कमेंट नहीं कर सकता. बल्कि शादी के बाद भी अगर कोई चूं-चा करे तो इतरा के तड़ से बता सकती हैं कि ‘आपके बेटे-भाई की जान हूं. पसंद से लाए हैं, तमीज़ से पेश आइए.’
आपके माता-पिता और आप पर ख़र्चीली रस्मों के पालन को बोझ नहीं.
शादी का खर्च, दहेज, महंगे उपहार, दाज-वरि, सूट-बूट के लाखों के ख़र्च से मुक्ति.
पीहर की बचत सुरक्षित, नए क़र्ज़ का तो सवाल ही नहीं.
आपके बुज़ुर्ग पिता को किसी समधी-दामाद के आगे पगड़ी नहीं उतारनी, पैर नहीं छूने. उनके स्वाभिमान पर कोई आंच नहीं.
ख़ानदान के नाराज़ फूफा की तो ऐसी की तैसी, भाड़ में जाएं.
शादी में ख़ातिरदारी, ख़िदमत और तोहफ़े के बोझ से मुक्ति.
उम्रभर सिर्फ देते रहने के बोझ से पिता-भाई मुक्त.
और सबसे बड़ी बात की पति ये बोल के कहीं और मुंह नहीं मार सकता कि ‘तू तो मुझे पसंद ही नहीं थी, घरवालों ने फंसा दिया.’
पति उम्रभर सिर्फ अच्छा दामाद बन के दिखाने के चक्कर में अलग रहता है कि किसी तरह ससुरालवाले क़ुबूल कर लें. इसलिए वो अपनी ससुराल के ‘रेगुलर दामादों’ से बेहतर ‘बेटा’ साबित होता है.
ससुराल से लेने के बजाय अपनी सास के लिए गिफ्ट्स लाता है.
आपका उस पर ये अहसान रहता है कि ‘आप उसकी ख़ुशी के लिए अपने सभी नाते-रिश्ते छोड़ आईं’, तो वो सबकी कमी पूरी करने में लगा रहता है. ऐसे में आप ज़्यादा प्यार-दुलार पाती हैं.
एक-दूसरे की नई संस्कृति, त्योहार और खान-पान से ज़िंदगी में नयापन देर तक बना रहता है.
पति की हर चीज़ पर आपका एकाधिकार होता है, नाराज़ ससुराल के बड़े फायदे हैं.

अरे लड़कियों होश के नाखून लो, अपने मां-बाप और अपने पे रहम करो, इश्क़ करो और सिर्फ विजातीय-विधर्मी से प्रेम विवाह करो.

(लेखिका सामाजिक कार्यकर्ता हैं)

Friday, February 17, 2017

तुम्हें नोचा गया, कारण तुम्हारा पैदा होना था...

क्या इस आरोप में कोई दुविधा है कि भारतीय मर्द का मानस अपने मूल रूप में महिलाओं के प्रति हिंसक है?

तुम्हें नोचा गया

लेकिन कारण तुम थीं!

कारण तुम्हारे छोटे-तंग कपड़े थे!

कारण आधी रात तुम्हारा बाहर निकलना था,

हां दिन के मेले में भी होता ये सब

कारण तुम्हारा घर से ही निकलना था,

हां घर में भी होता ये सब

कारण दरअसल तुम्हारा पैदा होना था!

क्षोभ, पीड़ा और दुख से भरी यह कविता प्रीति कुसुम ने फेसबुक पर बुधवार को अपनी फेसबुक वॉल पर पोस्ट की. ऐसा करने वाली वे अकेली नहीं थीं. देश भर की महिलाओं में बेंगलुरु की शर्मसार घटना के बाद जो गुस्सा उपजा है, उसे जाहिर करने का सहज सुलभ मंच भी तो नहीं है. तो यह गुस्सा सोशल मीडिया पर दिखा.

बेंगलुरु में नये साल की पूर्वसंध्या पर हुए सामूहिक छेड़छाड़ और यौन उत्पीड़न की घटनाओं के बाद महिलाएं दुखी हैं, गुस्से में हैं, उस पर तुर्रा यह कि सत्ता भी उन्हें चिढ़ा रही है.

कोई कह रहा है कि लड़कियों का पहनावा ठीक नहीं है, कोई कह रहा है कि इस घटना के लिए पश्चिमी विचार और सभ्यता जिम्मेदार है, पुलिस कह रही है पूरा शहर वहशी हुआ लेकिन एफआईआर नहीं आई, तब क्या हो?

नेता कह रहा है कि लड़कियां शक्कर हैं, चींटें तो आएंगे. लड़कियां पेट्रोल हैं, आग तो जलेगी. कठमुल्ले कह रहे हैं कि हाथ की उंगली भी दिख जाए तो बलात्कार होना स्वाभाविक बात है. लड़कियों को संदूक में बंद करके ताला जड़ दो. लड़कियां गुस्से में कहती हैं कि ऐसे मर्दों के मुंह पर हमेशा के लिए ताला जड़ दो.

सबसे दुखद यह है कि ऐसी भयावह घटना के बाद भी राजनीतिक गलियारे में आरोप-प्रत्यारोप और घटियाबयानी से ज्यादा कुछ नहीं हुआ. हमारी सरकारें अपमानित हुईं महिलाओं से न माफी मांगने का जमीर रखती हैं, न ही उन्हें सुरक्षा देने की प्रतिबद्धता.

अध्यापिका विभावरी ने फेसबुक पर लिखा, 'दंगल जैसी कितनी ही फिल्में बना कर सिनेमाहॉल के भीतर सराह ली जाएं लेकिन अपनी रूढ़ पितृसत्तात्मक मान्यताओं से जब तक असल दंगल नहीं लड़ा जाएगा, अपनी आंखों और दिमाग को लड़कियों के पहनावे से ऊपर नहीं उठाया जाएगा, उनको जज करना बंद नहीं किया जाएगा, बेंगलुरु जैसी घटनाएं होती रहेंगी और हम राष्ट्रगान गाते रहेंगे फिल्में देखने से पहले!'

लड़कियों को संस्कार सिखाने संबंधी शोहदों के शोर के बीच निष्ठा ने लिखा, 'गुण सिखाने थे लड़कों को, हम लड़कियों को ही सिखाते रह गए. नतीजा है यह अन्यायपूर्ण समाज.'

जेएनयू की रिसर्च स्कॉलर अनुराधा ने अपने उद्गार व्यक्त किए, 'एक मित्र ने कहा था कि हमें अपनी लड़कियों को लड़कों की तरह नहीं, बल्कि लड़कों को लडकियों की तरह शिक्षा देनी चाहिए. होता यह है कि हम लड़कियों को तो आज्ञाकारी, संस्कारी, विनम्र, रिश्तों की अहमियत समझने वाली और दूसरों का सम्मान करने वाली बनाना चाहते हैं, लेकिन लड़कों की ओर इतना ध्यान नहीं देते.'

अनुराधा आगाह करती हैं, 'बेंगलुरु की घटना सिर्फ कुछ शराबी युवकों की बदतमीजी नहीं है बल्कि सभ्य और सुशिक्षित समझे जाने वाले समाज के लिए खतरे की घंटी भी है कि यदि अभी से हमने अपने लड़कों की परवरिश पर ध्यान नहीं दिया तो आने वाली पीढ़ी की लड़कियां भी पूरी तरह से असुरक्षित हैं. अपने दिमाग से यह बात निकाल देनी चाहिए कि हमारे घर की लडकियां सुरक्षित हैं. बारी हमारी और आपकी भी आ सकती है.'

राजनीति, सामाजिक और अन्य मसलों पर बेबाक राय रखने वाली युवा पत्रकार सर्वप्रिया सांगवान ने लिखा, 'लड़कियों, तुम्हें कामयाब होने तक भी लड़ना है, कामयाब होने के लिए भी लड़ना है, कामयाब होने के बाद भी उसे जस्टिफाई करना है. पहले घरवालों से लड़ों, सारे बंधनों के बाद जैसे तैसे तुम बाहर निकल लेती हो तो फिर पड़ोसियों और रिश्तेदारों से भी लड़ना है, बाहर बैठे अनजान लड़कों से भी बचना है, फिर तुम जैसे तैसे सौ इल्जाम सहन कर, दसियों बार छेड़खानी सहन कर, मेहनत कर लड़कों से आगे निकल भी जाती हो तो तुम्हें अपनी कामयाबी को साबित करने के लिए भी लड़ना है.

सर्वप्रिया की पोस्ट काफी लंबी है. वे आगे लिखती हैं, 'आपके साथ कोई बुरा बर्ताव करता है तो आपको अब बताना पड़ता है कि मैंने कपड़े भी सही पहने थे, मैंने शराब भी नहीं पी थी, मैं दोपहर में घर से बाहर थी. अब जाकर घर में भी बता नहीं सकते क्योंकि उसके बाद भी बंधन तो आप ही को झेलने पड़ेंगे. लड़कों, ये कोई खुद को विक्टिम या पीड़ित दिखाने की कोशिश कतई नहीं है. ये आपको परिस्थितियां दिखाने की कोशिश हैं जो किसी भी सूरत में बराबर नहीं हैं. आप सब बेशक छेड़खानी नहीं करते होंगे लेकिन ऐसा गंदा और गैर-बराबरी का समाज बनाने के लिए आप सब जिम्मेदार हैं.'

एक अन्य फेसबुक यूजर मधूलिका चौधरी आप बीती सुनाती हुए लिखती हैं, 'बेंगलूरु की घटना सिर्फ एक स्थान विशेष की घटना नहीं है. यही उस समाज का असली चेहरा है जिसमें हम रहने को बाध्य हैं. इलाहाबाद में विश्वविद्यालय में मेरा पहला दिन था. साइको से भूगोल विभाग की ओर जाते हुए चार पांच मुस्टंडों का समूह सामने से आ रहा था. उनके शब्दों ने एक पल में यूनिवर्सिटी में होने के मेरे गौरव को खत्म कर दिया. मुझे वे शब्द बीस सालों बाद भी ज्यों के त्यों याद है. उनके द्वारा कहे गए वाक्य लिख पाने का हौसला अब भी नहीं है.'

मधूलिका सवाल करती हैं, 'जाने वो लड़के अब कहां होंगे. किन पदों पर होंगे. शायद बड़ी होती बच्चियों के पिता भी हों. उन्हें याद भी नही होगा कि उनकी एक हरकत की स्मृति कितनी स्थायी है. इस एक पल के बाद चार सालों में अपने विश्वविद्यालय में अकेले घूमने का हौसला फिर नहीं जुटा. यह अलग बात है कि बाद में बहुत अच्छे मित्र भी मिले. लड़के और लड़कियां दोनों ही. पर पहली याद यही थी.'

बेंगलुरु की घटना अनोखी नहीं है. यह गली मोहल्ले में घटने वाले हादसे का सामूहिक प्रदर्शन था. मधूलिका शेयर करती हैं, 'मेरी एक दोस्त जो रात की पार्टी के लिए अपनी कजिन के साथ रिक्शे से जा रही थीं. हिन्दू हॉस्टल के सामने दो लड़के बाइक से थे उनमें से एक ने पैंट की जिप खोलकर लिंग अपने हाथ में ले लिया और बेहद धीमी रफ्तार से रिक्शे के साथ चलने लगे. उन दिनों शायद ममफोर्ड गंज थाने में एक लेडी दरोगा तैनात थीं जो कि लुच्चों के लिए कहर ही थीं. मोबाइल चलन में नहीं थे. मेरी दोस्त ने रिक्शेवाले को गाली देते हुए रुकने को कहा और फिर कजिन की ओर मुड़कर बोलीं. कहा था ना कि वर्दी में चलने दो पर तुम नहीं मानीं. उनकी गरज सुनकर बाइक वालों ने बाइक बढ़ा ली तो उनकी हिम्मत लौटी. उन्होंने दरोगा वाली आवाज में ललकार कर गाली दी. लड़के भाग गए. ऐसी अनगिनत कहानियां हैं हम जैसी हर लड़की के पास.'

मधुलिका की कहानियां उस सभ्य शालीन माने जाने वाले इलाहाबाद की हैं जो बेंगलुरु नहीं है. वह अदब की उर्वर जमीन है, वह गंगा जमुनी तहजीब का सबसे विख्यात शहर है. लेकिन शोहदों से मुक्त वह भी नहीं है.

मधुलिका अंत में अपनी राय रखती हैं, 'ये सब इसी समाज की पैदाइश हैं. हर जगह हैं. रात के अंधेरे में सड़कें इनके बाप की हो जाती हैं. लड़कियां कूड़ेदान सी हैं जिन पर ये अपनी हवस कुत्सित शब्दों और हरकतों के माध्यम से उड़ेल सकें. यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि मै सलवार कमीज और दुपट्टे में थी और दूसरी घटना में मेरी दोस्त शुद्ध भारतीय परिधान यानि साड़ी पहने थी और हममें से कोई भी नशे में नही था.

बेंगलुरु में रहने वाली पत्रकार शोभा सामी अपने शहर की ऐसी भयावह हालत देखकर विचलित होकर लिखती हैं, 'एक शहर जहां सुकून की सांस ली जा सकती थी. अचानक वहां अपने बचाव में कोई हथियार लेकर घूमने की कल्पना कितनी भयावह है.'

उन्होंने अपनी फेसबुक वॉल पर लिखा, 'कई बार अपने आसपास देखती हूं तो लगता है कोई जंग चल रही है. ऐसा लगता है कि हमेशा तैयार रहना चाहिए. ऐसी घटनाएं देखती हूं तो अचानक कोर्ट कचहरी पुलिस और न्यास से भरोसा उठ जाता है. मेरे दिमाग में ख्याल आने लगते हैं कि शायद सारे समय मजबूत जूतों-बैग के साथ रहना चाहिए. ताकि वक्त पर भाग सकूं, अपने जरूरी सामान बचा सकूं. कई तरह के हथियारों के बारे में सोचने लगती हूं जिसे कैरी किया जा सके.'

उनका गुस्सा उनके शब्दों से समझा जा सकता है कि 'मुझे लगता है कि संभव हो तो लड़कियों को जान मार देना चाहिए लड़कों को ऐसे मौकों पर. जिस तरह की स्थितियां बन रही हैं. लड़ाई ही होगी. आपको क्या लगता है लड़कयां पिटती रहेंगी? आप उन्हें फेंक कर जाते रहेंगे? दिमाग से सारे लॉजिक लापता हो जाते हैं हर ऐसी स्थिति में.'

डीयू में अध्यापक सुजाता अपने एक लेख में लिखती हैं, 'स्त्री लिखती ही क्यों है? अपनी जगह बदलने के लिए. अपनी जगह पाने के लिए. खुद को समझने के लिए. वह लिखती है, क्योंकि वह मनुष्य है.'

हमारे इस हिंसक समाज में स्त्री को कितनी तेज चीख कर बताना होगा कि वह मनुष्य है! और उसकी चीख गूंजेगी तब भी कितने पुरुषों को यह समझ में आएगा कि वह देह नहीं, मनुष्य है! आखिर बेंगलुरु जैसे पढ़े लिखे शहर में नये साल की पार्टी मनाने सारे अनपढ़ और जाहिल लोग नहीं रहे होंगे. वे शराब में डूबे आधुनिक मर्द होंगे जिनके सर पर उनके योग्य होने का कॉरपोरेट बिल्ला भी चस्पा है!

एक भयानक घटना की मर्दवादी प्रतिक्रिया आखिर इस रूप में सामने आई है कि लड़कियां शक्कर हैं, चींटे तो आएंगे! क्या इस आरोप में कोई दुविधा है कि भारतीय मर्द का मानस अपने मूल रूप में महिलाओं के प्रति हिंसक है?

सिविल सेवा अभ्यर्थियों के लिए कुछ दार्शनिक के महत्वपूर्ण वक्तव्य UPSC की तैयारी कैसे करे ?

It ’s a funny thing, the more I practice the luckier I get*.Arnold Palmer
अर्थात आप जितना रिविज़न करेंगे और टेस्ट देंगे आपके प्रीलिम्स पास करने की संभावना उतनी ही ज्यादा होगी
If I had eight hours to chop down a tree, I’d spend six sharpening myax
.Abraham Lincoln
अर्थात प्रीलिम्स से पूर्व ज्यादा से ज्यादा टेस्ट पेपर का अभ्यास करे
*Do what you can with what you have where you are.Theodore Roosevelt*
अर्थात तैयारी के लिए दिल्ली,इलाहाबाद जैसे शहरों में जानेकी कोई आवश्यकता नही है | इन्टरनेट के इस दौर में कुछ अच्छी पुस्तक ही आपकासबसे बड़ा साथी है |
यदि आप के पास कोचिंग के नोट्स नही है तो ये आपके लिए खुशखबरी है क्योंकि तभी आपअपना नोट्स बनापाएंगे |
*Do not confusemotion and progress. A rocking horse keeps moving but does not make any progress*
.Alfred A. Montapert
अर्थात आप जो पढ़ते है उसे समझने की कोशिशकीजिए | आप किसी और के लिए नही पढ़ रहे है कि अरे आज मैंने 12 घंटे पढाई की| आप 6 घंटे ही पढ़े लेकिन चीज़ों कोसमझे सिर्फ पेजन पलटे क्योंकि…
*Knowledge becomes wisdom only after it has been put to practical use*
.अर्थात CSAT के पेपर को आप परीक्षा में तभी हल कर सकते है जब आप ने घर पर पहले वैसे प्रश्नों को हलकिया हो |
*You gain strength, courage, and confidence by every experience in which you really stop to look fear in the face. You must do the thing which you think you cannot do*.
Eleanor Roosevelt
जब भी आप कोई नएकांसेप्ट को समझते है तो पहली बात दिमागमें यही आती है कि भाई ये मुझसे न हो पाएगा ,लेकिन बार बार पढ़ने और समझने के बाद आपका वो टॉपिक आपका अपना हो जाता है और आप उस टॉपिक में कॉन्फिडेंट हो जाते ह
*ैObstacles don’t have to stop you. If you run into a wall, don’t turn around and give up. Figure out howto climb it, go through it, or work around it*.Michael Jordan
यदि आप ‘दोहरे तुलना पत्र कि चुनौती’जैसे किसी टॉपिक को समझने में असमर्थ है तो कम से कम इसके बारे में बेसिकजानकारी ज़रूर देख ले |नही जानने से अच्छाकुछ जानना होताह
*ैDo not wait forextrordinary circumstances to do good;try to use ordinary situations*.
Jean Paul Richter
ये लाइन उनके लिए है जो कभी भी कर्रेंट का नोट्स नही बनाते , और सोचते है कि परीक्षा से पूर्व कोई अच्छी कर्रेंट कि पुस्तक खरीदकर सब पढ़ लेंगे| ऐसा नही होता है …किसी भी वेबसाइट पर दिया गया नोट्सया कोई भी कर्रेंट की पुस्तक सिर्फ इसलिए होती है कि यदि आप के अपने नोट्स मेंकोई टॉपिक छूट गया है तो आप उसे जोड़ ले | इस परीक्षा में आपका साथी सिर्फ आप है,इसीलिए पेपर पढ़े और नोट्स बनाए | इसका कोई और विकल्प नही है |
*Don’t be afraidto give your best to what seemingly are small jobs. Every time youconquer one itmakes you that much stronger. If you do the little jobs well,the big ones will tend to take care of themselves.Dale Carnegie*
अर्थात आप जो कुछ भी पढ़ते है उसके मूल अवधारणा को समझने कि सर्वप्रथम कोशिश करे |निरंतरताजब ये सवाल पूछा जाता है कि सफलता के लिए क्या आवश्यक है ?कुछ कहते है कि लोगों का attitude उन्हें सफल बनाता है , कुछ कहते है कि दृढ संकल्पित सफल होते है,कुछ कहते है कि जिनके अंदर निरंतरता है वो सफल होते है… | मुझे लगता है कि सफलता के लिएये सारी चीज़ेआवश्यक है लेकिन सबसे आवश्यक निरंतरता है क्योंकि**slow and steady wins the race*ये हो सकता है कि आपको धीरे – धीरे निरंतर प्रयास करके सफल होने में थोड़ा वक़्त ज्यादा लग जाए लेकिन आप सफल ज़रूर होंगे क्योंकि
*It does not matter how slowly you go as long as you do not stop.ConfuciusBe like a postage stamp. Stick toone thing untilyou get there*.Josh Billings
समय प्रबंधनसमय प्रबंधन बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि बहुत से अभ्यर्थी तैयारी के दौरान बहुत से समय ये सोचते सोचते बिता देते है कि IAS /IPS बनने के बाद क्या करेंगे
*Time is the coin of your life. It is the only coin you have,and only you can determinehow it will be spent.Be careful lest you let other people spend it for you*.
Carl Sandburg
अर्थात दूसरे लोगों का आप अपना समय व्यर्थ न करने दे खासकर फेसबुक व व्हाट्सएप्प जैसे चीज़ों में|इस तरह के ग्रुप में कभी कभी आपको कुछ नोट्स मिल सकताहै जिसे आप डाउनलोड कर ले|और फ़र्ज़ी चीज़ों में वक़्तबर्बाद न करे
*|If you can’t sleep, then getup and do something instead of lying there worrying*.Dale Carnegie
*Footprints on the sands of time are nevermade by sitting down.UnknownThe future depends on what we do in the present*.Mahatma Gandhi
*A loser seldomlives in the present, but instead destroys the present by focusing on past memoriesor future expectations*.Muriel James
*Tomorrow is the most important thing in life. Comes into us at midnight very clean. It’s perfect when it arrives and it puts itself in our hands. It hopes we’ve learned something from yesterday.John WayneHe who seeks rest finds boredom… He who seeks work finds rest.UnknownInaction breeds doubt and fear. Action breeds confidence and courage. If you want to conquer fear, do not sit home and think about it. Go out and getbusy*.Dale Carnegie
बहाना बनाने सेबचेजब भी टेस्ट में कम नंबर आता है या हम प्रीलिम्स फ़ैल हो जाते है तो हम अपनी तैयारीकि गलतियों को न देखकर और सारी चीज़ों को इसके लिए ज़िमेद्दार ठहराते है |हम बहाना बना कर दो चार लोगों को समझा देंगे कि इस असफलता में मेरी कोई गलती नही है हालात ही ऐसा था , लेकिन क्याहम अपने आप को समझा पाएंगे ?
*An excuse is worse and more terrible than a lie; for an excuse is a lie guarded.Alexander PopeBecauseNiney-nine percent of failures come from people who have the habit of making excuses.*
George W. Carver
*Never let your head hang down. Never give up and sitdown and grieve. Find another way. And don’t praywhen it rains ifyou don’t pray when the sun shines.Satchel Paige*
ईर्ष्याजब भी आप किसी क्लास या ग्रुपमें पढाई करते है तो आप ऐसे लोगो से ईर्ष्या करने लग जाते है जिन्हें किसी टेस्ट में आप से अधिक नंबर प्राप्त हुआ है,या आप परीक्षा के किसी स्तर पर असफल हो गए हो और किसी को UPSC में सफलतामिल गई हो |ऐसे समय में कभी भी अपना धीरज न खोए और हमेशा याद रखे कि
*If you envy successful people, you create a negative force field of attraction that repels you from ever doing the things that youneed to do to be successful. If you admire successful people, you create a positive force field of attraction that draws you toward becoming more and more like the kinds of people that you want to belike.Brian TracyWhen you are content to be simply yourself anddon’t compare or compete, everybody willrespect you.Lao-TzuEvery artist was first an amateur*.Ralph Waldo Emerson
अर्थात यदि आप ये नही जानते कि पानीपत कि पहली लड़ाई कब हुई तो कोई बात नही आप उसके जबाब खोजिए क्योंकि जो आपके साथी ये जानते है कुछ समय पहले उन्होंने भी इसका जबाब खोज होगा
*Did you ever see an unhappy horse? Did youever see bird that had the blues? One reason why birds and horses are not unhappy is because they are not trying to impress other birds and horses.Dale CarnegieNo one can make you feel inferior without your consent.*– Eleanor Rooseve
*ltDon’t worry over what other people are thinking about you.They’re too busy worrying over what you are thinking about them.Unknown*
प्रीलिम्स / मेंस या साक्षात्कार में असफलता
*Insanity: doingthe same thingover and over again and expecting different results*
.Albert Einstein
अर्थात यदि आप असफल हो रहे है तो आप अपने पढाई के तरीके में परिवर्तन लाइए| यदि आपकोलगता है कि 2 महीने 8 घंटे पढ़ने से प्रीलिम्स पास कर जाएंगे ,तो फिर आप 3 महीने 10 घंटे पढाई करे ,इससे आप केसफल होने में जो थोड़ा बहुत संदेह होगा वो भी दूर हो जाएगा
*If you keep on doing what you’ve always done,you’ll keep on getting what you’ve always got.*
W.L. Bateman
बहुत सारे अभ्यर्थी पहले प्रयास में सफलनही हो पाते है इसके लिए तनाव में आने कि आवश्यकता नही है क्योंकि
*If you believe that feeling bad or worrying long enough will changea past or future event, then you are residing on another planetwitha different reality system.UnknownFailure will never overtakeme if my determination to succeed is strong enough.
Og Mandino
Remember that failure is an event, not a person.UnknownIf something iswrong, fix it if you can. But train yourself not to worry.Worry never fixes anything.*
Mary Hemingway
इतिहास का उदहारण देने वालों के लिएAn age is called Dark Age, not because the light fails to shine,but because people refuse to see it.James Michener
और अंततः
*Twenty years from now you will be more disappointed by the things you didn’t do than by the ones you did. So throw off the bowlines.Sail away fromthe safe harbor. Catch the trade winds in your sails.Explore. Dream. Discover.Mark T