law for women in india
1909 में शुरू हुआ अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस कारवां आज इस मुकाम पर पहुंच चुका है दुनिया के सभी देशों की महिला हर फील्ड में बुलंदियों को छू रही हैं। इसी लंबे कालखंड में महिलाओं की सुरक्षा के लिए भारत समेत दुनिया के तमाम देशों ऐसे कानून बने हैं जो न सिर्फ उनकी सुरक्षा के लिए ढाल बने बल्कि उन्हें एक सम्मान की जिंदगी देने का जरिया भी बनें। जानें ऐसे भारतीय कानूनों के बारे में जो भारतीय महिलाओं के लिए सुरक्षा की ढाल का काम कर रहे हैं-
संवैधानिक मौलिक अधिकार :
भारतीय संविधान के प्रावधान के अनुसार पुरुषो की तरह सभी क्षेत्रो मे महिलाओ को बराबर अधिकार देने के लिए कानूनी स्थिति है। भारत मे बच्चो और महिलाओ के उचित विकास
हेतु इस क्षेत्र मे महिला और बाल-विकास अच्छे से कार्य कर रहा है ।
संविधान के अनुच्छेद-14 मे कानूनी समानता, अनुच्छेद-15 (3) मे जाति, धर्म, लिंग एवं जन्म स्थान आदि के आधार पर भेदभाव न करना।
अनुच्छेद-16 (1) मे लोक सेवाओ मे बिना भेदभाव के अवसर की समानता। अनुच्छेद-19 (1) मे समान रूप से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।
अनुच्छेद-21 मे स्त्री एवं पुरुषो दोनो को प्राण एवं दैहिक स्वाधीनता से वंचित न करना।
अनुच्छेद-23-24 मे स्त्री एवं पुरुष दोनो को ही शोषण के विरूद्घ अधिकार समान रूप से प्राप्त।
अनुच्छेद-25-28 मे धार्मिक स्वतंत्रता दोनो को समान रूप से प्राप्त।
अनुच्छेद-29-30 मे शिक्षा एवं संस्कृति का अधिकार।
अनुच्छेद-32 मे संवैधानिक उपचारो का अधिकार।
अनुच्छेद-39(घ) मे पुरुषो एवं स्त्रियो दोनो को समान कार्य के लिए समान वेतन का अधिकार।
अनुच्छेद-42 महिलाओ हेतु प्रसुति सहायता प्राप्ति की व्यवस्था।
लिंग जांच के खिलाफ कड़ा कानून-
गर्भावस्था मे ही मादा भ्रूण हत्या करने के उद्देश्य से लिंग परीक्षण को रोकने हेतु पूर्व निदान तकनीक अधिनियम 1994 निर्मित किया गया।इसका पालन न करने वालो को 10-15
हजार रुपए का जुर्माना तथा 3-5 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है। दहेज जैसे सामाजिक अभिशाप से महिला को बचाने के लिए 1961 मे ‘दहेज निषेध अधिनियम’
बनाया गया। 1986 मे इसे भी संशोधित कर समयानुकूल बनाया गया।
दहेज के खिलाफ कानून
दहेज हत्या से जुड़े कानूनी प्रावधान- दहेज हत्या को लेकर भारतीय दंड संहिता(आई.पी.सी.) मे स्पष्ट प्रावधान है। इसके अंतर्गत धारा-304(बी),302,306 एवं 498-ए आती है। दहेज
हत्या का अर्थ है, औरत की जलने या किसी शारिरिक चोट के कारण हुई मौत या शादी के 7 साल के अंदर किन्ही सन्देहजनक कारण से हुई मृत्यु। इसके सम्बन्ध मे धारा-304 (बी)
मे सजा दी जाती है, जो कि सात साल कैद है। इस जुर्म के अभियुक्त को जमानत नही मिलती।
इच्छा के विरुद्ध संबंध बनाने पर बलात्कार का केस
आई.पी.सी की धारा-375 के तहत जब कोई पुरुष किसी स्त्री के साथ उसकी इच्छा के विरुद्ध सम्भोग करता है, तो उसे बलात्कार कहते है।
बलात्कार तब माना जाता है-
यदि कोई पुरुष स्त्री के साथ
-उसकी इच्छा के विरुद्ध।
-उसकी सहमति के बिना।
-उसकी सहमति डरा धमका कर ली गई हो।
-उसकी सहमति नकली पति बना कर ली गई हो, जबकि वह उसका पति नही हो।
-उसकी सहमति तब ली गई हो जब वह दिमागी रूप से कमजोर या पागल हो।
-उसकी सहमति तब ली गई हो जब वह शराब या अन्य नशीले पदार्थ के कारण होश मे नही हो।
-यदि वह 16 वर्ष से कम उम्र की है, चाहे उसकी सहमति से हो या बिना सहमति के।
-15 वर्ष से कम उम्र की पत्नि के साथ।
छेड़खानी के खिलाफ सख्त कानून –
धारा-509,294 आई.पी.सी के अनुसार कोई भी शब्द, इशारा या मुद्रा जिससे महिला की मर्यादा का अपमान हो। धारा-354 आई.पी.सी मे कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति किसी
महिला की मर्यादा को भंग करने के लिए उस पर हमला या जबरदस्ती करता है तो उसे दो वर्ष तक की कैद या जुर्माना या दोनो की सजा हो सकती है।
और भी हैं प्रभावी कानून
1- मेडिकल टर्मिनेशन आफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1987
2- लिंग परीक्षण तकनीक एक्ट 1994
3- बाल विवाह रोकथाम एक्ट 2006
5-कार्यस्थल पर महिलाओ का यौन शोषण एक्ट 2013