Monday, November 28, 2016

'मैं हूं सोनम गुप्ता !'

सुनिए और पढ़िये प्यारे देशवासियों के नाम देश की बेटी सोनम गुप्ता का ये पत्र और खुद तय कीजिए सोनम गुप्ता कहीं आपके पड़ोस या आपके घर में ही तो नहीं ?

सीधे-सीधे पूछा जा रहा है कि कौन है सोनम गुप्ता, उसे सामने आना चाहिए. तो अब सामने आई है सोनम गुप्ता. कहीं सोनम गुप्ता आपके बीच से ही तो नहीं....आप ही तो नहीं...अगर सच है तो क्या आप अपनी ही बेटी का अपमान नहीं कर रहे...सुनिए और पढ़िये प्यारे देशवासियों के नाम देश की बेटी सोनम गुप्ता का ये पत्र...और खुद तय कीजिए कौन है सोनम गुप्ता.

सुनिए सोनम गुप्ता की आवाज में उनके मन की बात और नीचे पढिए उनकी पूरी चिट्ठी-

दोस्तों,

बहुत चिंतित हैं आप लोग, आप तो आप, देश के आधे से ज्यादा अखबार और चैनल, उनके ब्लॉग्स, उनकी वेबसाइट्स, सारा सोशल मीडिया भी पूछ रहा है कि कौन है सोनम गुप्ता.

हां मेरे साथी, मैं हूं वो सोनम गुप्ता जिसके प्यार के गीत तुमने गुनगुनाए...जिसके लिए तुम रांझा, रोमियो और महीवाल बने, जिसके लिए तुमने चांद तारे तोड़ लाने के वादे भी किए ..और याद दिलाऊं तुम्हें कौन हूं मैं...हां, मैं वही सोनम गुप्ता हूं जो तुम्हारी ड्रीमगर्ल है.. जिसे तुम अपने बच्चों की मां के रुप ख्वाबों में  देखते हो.

मेरे प्यारे दोस्त मैं हूं वो सोनम जिसका इनकार तुमसे नहीं स्वीकारा नहीं जाता है, तुम वही करते हो जो तुम्हें सही लगता है.. मुझे कांपते हाथों से फूल देकर प्रपोज करते हो और जब मैं ना कहती हूं तो मुझे पाने के लिए तुम किसी भी हद तक चले जाते हो...मुझे रिझाने मनाने और बस मेरी एक हां के लिए तुम अपनी मर्जी से फूल देते हो अपनी मर्जी से शायरियां सुनाते हों और जब तुम्हें लगने लगता है कि मैं बड़ी कठोर हूं, इस पर भी हां नहीं कह रही हूं तो तुम मुझे खून भरी चिट्ठियां लिखते हो. हां वो तुम्ही तो हो जो करते हो शराब पीकर फोन पर मुझे परेशान बार बार.

हां मैं वही सोनम गुप्ता हूं जो जब किसी कीमत पर भी तुम्हें हां नहीं कहती तो तुम बौखला जाते हो...तुम्हारा ईगो तुम्हें सच समझने नहीं देता और तुम आकर मेरे चेहरे पर एसिड छिड़क देते हो...तुम क्यों भूल जाते हो कि प्यार तुम करते हो मुझसे मैं नहीं करती तुमसे...

याद नहीं तुम्हें मैं वहीं सोनम हूं. जब मैं तुम्हारे परेशान करने पर तुम्हारी पुलिस कंपलेंट करती हूं तो तुम्हें जेल हो जाती है...और जब तक तुम जेल से आते हो मैं किसी और से शादी कर लेती हूं. तब तुम खेलते हो मेरे साथ बदले का खेल..हां मैं वही सोनम हूं तुम्हारे एकतरफा प्यार की मारी सोनम..जिससे बदला लेने के लिए तुम बदनामी की शतरंज बिछाते हो. यह सब होता है तुम्हारी मर्जी से...मेरी मर्जी से तो तुम्हें लेना-देना ही नहीं.

हां मैं वहीं हूं जिसने कभी तुम्हें हां कहा और बाद में मना करने पर...तुम गुस्से में तुम्हें लिखे मेरे सारे पत्र सार्वजनिक कर देते हो.

मुझसे बदला लेने के लिए तुमने 10 रुपये के नोट से शुरु किया एक गंदा खेल आज घर घर में खेला जा रहा है. मेरी ना सुनने के बाद तुम वही तो हो जो आज तक नोटों पर मेरे नाम गोद रहे हो. यही नहीं मेरा जवाब भी तुम ही नोटों पर गोद रहे हो अपनी मर्जी से.

गलियों, गुमठियों, स्कूल, कॉलेजों, मीडिया संस्थानों में हर जगह पुरुषों के मुंह पर आज मेरा नाम है. मेरी हंसी उड़ाई जा रही है...मेरे देश का बच्चा बच्चा कह रहा है सोनम गुप्ता बेवफा है...लोग चटखारे लेकर मेरे बारे में बात कर रहे हैं. मैं ट्विटर फेसबुक पर ट्रेंड कर रही हूं. तुम तो खेल में जीत गए हो मैं हर जगह बदनाम हो चुकी हूं.

क्या अब भी आप सबको जानना है सोनम गुप्ता कौन है...तो सुनिए मेरे मित्रों, मेरे देशवासियों, आपके बगल में रहने वाली हर एक लड़की, आपकी बहन, आपकी दोस्त,आपकी पत्नी और आपकी मां...आपके देश की हर बच्ची-बच्ची है सोनम गुप्ता...आज मैं हूं कल आपकी बेटी है सोनम गुप्ता...मैं हूं सोनम गुप्ता...जो हर दिन जन्म लेती हूं. हर दिन बनता है हमारे देश में मेरा किस्सा.

सच तो ये है साथियों.. तुम क्यों पूछ रहे हो कौन है सोनम गुप्ता तुम्हें पूछना चाहिए कौन हो तुम खुद और किस हद तक नीचे गिर गए हो तुम...कितने मक्कार हो तुम जो प्रेम का छलावा करते हो...तुम्हारा ईगो मेरी असहमति स्वाकार नहीं कर सकता कितने कमजोर हो तुम. तुम पूछो खुद से बस एक बार आईने के सामने खड़े होकर कि क्या इंसान रह गए हो तुम. तुम्हें नहीं लगता अभी तुम्हें बहुत कुछ सीखना है मेरे दोस्त इंसान बनने के लिए. 

ऋचा साकल्ले उर्फ़ सोनम गुप्ता.


Tuesday, November 15, 2016

स्त्री एक अपरिचिता !

मैं हर रात ;तुम्हारे कमरे में आने से पहले सिहरती हूँ कि तुम्हारा वही डरावना प्रश्न ;मुझे अपनी सम्पूर्ण दुष्टता से निहारेंगा और पूछेंगा मेरे शरीर से , “ आज नया क्या है ? ”कई युगों से पुरुष के लिए स्त्री सिर्फ भोग्या ही रही मैं जन्मो से ,तुम्हारे लिए सिर्फ शरीर ही बनी रही ..ताकि , मैं तुम्हारे घर के काम कर सकू..ताकि , मैं तुम्हारे बच्चो को जन्म दे सकू ,ताकि , मैं तुम्हारे लिये तुम्हारे घर को संभाल सकू .तुम्हारा घर जो कभी मेरा घर न बन सका,और तुम्हारा कमरा भी ;जो सिर्फ तुम्हारे सम्भोग की अनुभूति के लिए रह गया है जिसमे ,सिर्फ मेरा शरीर ही शामिल होता है ..मैं नहीं ..क्योंकि ;सिर्फ तन को ही जाना है तुमने ;आज तक मेरे मन को नहीं जाना .एक स्त्री का मन , क्या होता है ,तुम जान न सके ..शरीर की अनुभूतियो से आगे बढ़ न सकेमन में होती है एक स्त्री..जो कभी कभी तुम्हारी माँ भी बनती है ,जब वो तुम्हारी रोगी काया की देखभाल करती है ..जो कभी कभी तुम्हारी बहन भी बनती है ,जब वो तुम्हारे कपडे और बर्तन धोती हैजो कभी कभी तुम्हारी बेटी भी बनती है,जब वो तुम्हे प्रेम से खाना परोसती हैऔर तुम्हारी प्रेमिका भी तो बनती है,जब तुम्हारे बारे में वो बिना किसी स्वार्थ के सोचती है ..और वो सबसे प्यारा सा संबन्ध ,हमारी मित्रता का , वो तो तुम भूल ही गए ..तुम याद रख सके तो सिर्फ एक पत्नी का रूप और वो भी सिर्फ शरीर के द्वारा ही ...क्योंकि तुम्हारा सम्भोग तन के आगे किसी और रूप को जान ही नहीं पाता है..और अक्सर न चाहते हुए भी मैं तुम्हे अपना शरीर एक पत्नी के रूप में समर्पित करती हूँ ..लेकिन तुम सिर्फ भोगने के सुख को ढूंढते हो ,और मुझसे एक दासी के रूप में समर्पण चाहते हो ..और तब ही मेरे शरीर का वो पत्नी रूप भी मर जाता है .जीवन की अंतिम गलियों में जब तुम मेरे साथ रहोंगे ,तब भी मैं अपने भीतर की स्त्री के सारे रूपों को तुम्हे समर्पित करुँगी तब तुम्हे उन सारे रूपों की ज्यादा जरुरत होंगी ,क्योंकि तुम मेरे तन को भोगने में असमर्थ होंगे क्योंकि तुम तब तक मेरे सारे रूपों को अपनी इच्छाओ की अग्नि में स्वाहा करके मुझे सिर्फ एक दासी का ही रूप बना चुके होंगे ,लेकिन तुम तब भी मेरे साथ सम्भोग करोंगे ,मेरी इच्छाओ के साथ..मेरी आस्थाओं के साथ..मेरे सपनो के साथ..मेरे जीवन की अंतिम साँसों के साथमैं एक स्त्री ही बनकर जी सकी और स्त्री ही बनकर मर जाउंगी एक स्त्री ....जो तुम्हारे लिए अपरिचित रहीजो तुम्हारे लिए उपेछित रही जो तुम्हारे लिए अबला रही ...पर हाँ , तुम मुझे भले कभी जान न सकेफिर भी ..मैं तुम्हारी ही रही ....एक स्त्री जो हूँ.....