Tuesday, August 22, 2017

लड़कियां जरा गौर करे....



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#स्त्रीयो को ऊपर वाले ने छठी इंद्री (six sense) सोचने समझने की क्षमता इतनी अधिक दी है की वो किसी भी पुरुष की नजरों से अपने बारे में उसकी नीयत(द्रष्टि) को जान लेती है।
#यहाँ तक की अगर कोई उसे छुप कर भी घूर रहा हो तो उसे एहसास हो जाता है की कोई उसे देख रहा है।
ईश्वर ने उसे ये शक्ति इसलिए दी है की वो जान सके की कौन उसके लिए अच्छा है और कौन बुरा।
#लेकिन ना जाने क्यों यही औरत, लड़की जब किसी पर विश्वास करती है तो उसकी छठी इंद्री की शक्ति कहाँ चली जाती है?
#जो चीज़ सब को नजर आ रही होती है वो उसकी आँखों से कैसे ओझल हो जाती है?
#और फिर कोई लाख उसे समझाए लेकिन उस की अक़्ल पर ऐसा पत्थर पड़ता है की उसकी सोचने समझने की शक्ति खत्म हो जाती है।
#उसे पैदा करने वाले माँ बाप, उसकी खुशियों का ख्याल रखने वाले भाई-बहन, अच्छा बुरा समझाने वाली सहेलियां और रिश्तेदार सब लोग उसे दुश्मन लगने लग जाते हैं और सिर्फ एक शख्स जो दिल में इरादा लिए हुए उसकी तरफ बढ़ रहा होता है वो उसे सच्चा लागता है।
#वो ये नही सोचती की इतने सारे लोग कैसे गलत हो सकते है और जो सारी दुनिया से छुप कर मुझसे सम्बन्ध रखना चाहता है वो कैसे अच्छा व्यक्ति हो सकता है?
#फिर आखिर एक दिन पछतावा उसका मुकद्दर बनता है उसकी जिंदगी का एक हिस्सा बनता है !!
#सुनो....
#माँ बाप गलत फैसला तो कर सकते है लेकिन कभी गलत नही हो सकते।
वो हमेशा अपनी औलाद की भलाई ही चाहते है।
उन्हें कभी अपना दुश्मन न समझें।
#अपने आपको अक़्ल मंद समझ कर अपनी दुनिया और अपनी आबरू, अपने भविष्य को बर्बाद मत करो।
समझदारी सारी उम्र के पछतावे से बचा सकती है।
#याद रखें जो आपको हासिल करने की जिद में आज आपकी इज्जत की परवाह नही कर रहा, 
वो बाद में भी इज्जत नही दे सकता.....

Friday, August 18, 2017


बेटियां

मिट्टी की खुशबू सी होती हैं बेटियां,
घर की राज़दार होती है बेटियां,
बचपन हैं बेटियां, जवानी हैं बेटियां,
सत्यम शिवम सुंदरम सी होती हैं बेटियां,
फिर क्यों जला देते हैं ससुराल में बेटियां,
फिर क्यों ना बांटे खुशियाँ जब होती हैं बेटियां,
एक नहीं दो वंश चलाती हैं बेटियां,
फिर गर्भ में क्यों मार दी जाती हैं बेटियां?

दिल छू लेगी ये कविता एक बार जरूर पढें...........



कन्यादान हुआ जब पूरा,आया समय विदाई का ।।
हँसी ख़ुशी सब काम हुआ था,सारी रस्म अदाई का ।.
बेटी के उस कातर स्वर ने,बाबुल को झकझोर दिया ।।
पूछ रही थी पापा तुमने,क्या सचमुच में छोड़ दिया ।।
अपने आँगन की फुलवारी,मुझको सदा कहा तुमने ।।
मेरे रोने को पल भर भी ,बिल्कुल नहीं सहा तुमने ।।
क्या इस आँगन के कोने में,मेरा कुछ स्थान नहीं ।।
अब मेरे रोने का पापा,तुमको बिल्कुल ध्यान नहीं ।।
देखो अन्तिम बार देहरी,लोग मुझे पुजवाते हैं ।।
आकर के पापा क्यों इनको,आप नहीं धमकाते हैं।।
नहीं रोकते चाचा ताऊ,भैया से भी आस नहीं।।
ऐसी भी क्या निष्ठुरता है,कोई आता पास नहीं।।
बेटी की बातों को सुन के ,पिता नहीं रह सका खड़ा।।
उमड़ पड़े आँखों से आँसू,बदहवास सा दौड़ पड़ा ।।
कातर बछिया सी वह बेटी,लिपट पिता से रोती थी ।।
जैसे यादों के अक्षर वह,अश्रु बिंदु से धोती थी ।।
माँ को लगा गोद से कोई,मानो सब कुछ छीन चला।।
फूल सभी घर की फुलवारीसे कोई ज्यों बीन चला।।
छोटा भाई भी कोने में,बैठा बैठा सुबक रहा ।।
उसको कौन करेगा चुप अब,वह कोने में दुबक रहा।।
बेटी के जाने पर, घर ने जाने क्या क्या खोया है।।
कभी न रोने वाला बापू,फूट फूट कर रोया है.!!

संसार की सबसे खूबसूरत स्त्री आपकी अपनी पत्नी


जब पत्नी सुबह सुबह नींद से उठती है तब आप जरा ध्यान दें, हम उसके लिए कुछ भी शब्द नहीं कह सकते। कुदरत के भरे हुए रंग वो काली हो गोरी हो या फिर सांवली हो, बस आप देखते ही रहो, पूरा दिन काम करके करके,उसका सो जाना, और फिर सुबह नींद से उठकर, उसका उबासी देना, उसका आलस्य उसकी अंगड़ाई लेना, बड़ा ही मोहक और मादक लगता है, लगता है कि यही दुनिया की सबसे सुंदर और best पत्नी है,
जब हम films में कम कपडे पहने, अंग प्रदर्शन करने वाली heroines देखते हैं तो कीव सी आती है, कितना अंग प्रदर्शन करती हैं वे, क्या दिखाना चाहती हैं वे, अरे, एक बार नींद में सोई अपनी पत्नी को देखें, आलस्य चेहरा, नींद की खुमार में भरी हुई, उस वक़्त जो भी हम देखते हैं, सब ढका हुआ, उसमें से जो कुछ् दीखता है, थोड़ा स गाउन ऊपर, एक बटन खुला हुआ, बाल बिखरे हुए, पीठ पीछे कुछ दीखता हुआ शरीर, पाँव की छन छन पायल की आवाज, वो किसी सुंदर मूरत से कम नहीं होती, उसके सामने heroines का नखरा भी कुछ नहीं,
हम अपनी ही पत्नी को इस सोई हुई अवस्था में जिस तरह देखते हैं, उसका थोडा सा शरीर देखते हैं, तब लगता है, कितना थक जाती होगी बेचारी, कितना काम करती है ये, ऐसे सोई हुई है जैसे, उसे सच में बहुत बहुत आराम चाहिए, आखिर पूरा दिन तो काम करती ही है, थक जाती है पर आवाज नहीं करती, और हम लोग उसे force करते हैं,
उससे नाराज होते हैं बेवजह, उसकी सुंदरता देखते हैं अपनी हवस देखते हैं
उसकी थकावट, उसकी परेशानी, उसकी मज़बूरी, उसका आलस्य से भरा शरीर नहीं देखते, जब वो सुबह झट से उठती है तब फट से अपने बाल बाँधती है, गोल गोल घुमाकर बालों को clip लगाती है, rubber लगाती है, तब उसका चेहरा उसके होंठ, बड़े ही मादक लगते हैं, हम ये नहीं सोचते कि अब वो तैयार हो रही है, फिर से घर के काम करने के लिए, घर वालों की इच्छाएं, पूरी करने के लिए, हर member के चेहरे पर मुस्कराहट लाने के लिए, जो आपकी पत्नी है,
फिर वो उठकर, माथे पर बिंदी लगाती है, और खुद को बेहतरीन बीवी समझती है, वो एक बिन्दी लगाती है और बार बार ये सोचती है कि मेरे पति को दिखाऊं मेरे hubby को दिखाऊं कि कैसी लगती हूँ मैं, क्या मैं सबसे सूंदर हूँ या पति सिर्फ मजाक ही करता है और जब पति की नजर उसपर पड़ती है तब वो अपनी आँखें शर्म से झुका लेती है, यही है बीविओं की असली पहचान, प्यार विशवास और त्याग की अदभुत मूरत।
जब वो नजदीक आती है तब लगता है कि और आगे बुला लूँ, और पास बुला लूँ, मन करता है आज छुटी ले लूँ, इस प्यारी बीवी को देखता ही रहूँ, उसके काम में आज मदद करूँ,
मन तो बहुत कुछ करने को चाहता है, पर क्या करें, उसे काम से फुरसत कहाँ ? मायके को भी याद करती है मायके के हर मेंबर को दिल से याद करती है ख़ास कर माँ बाप भाई बहन भाभी, और बच्चे, और ससुराल का भी भरपूर ख़याल रखती है, प्यार की अदभुत मूरत है सुंदरता की सूरत है क्योंकि ये मेरी पत्नी है सबसे सूंदर पत्नी है।
कहते हैं कि कितनी भी बीमार हो कितनी भी थकी हो कितनी भी तकलीफ में हो पर घर का हर काम खुद करती है, घर का पूरा पूरा ख़याल रखती है, ये मेरे बीवी शायद सब की बीवी। हो सके तो बीवी को बहुत ही प्यार दें उसकी हर इच्छा पूरी करें क्योंकि वो अपना प्यारा प्यारा मायका, अपने माँ बाप भाई बहन, सभी रिश्तेदार छोड़कर, ख़ास आपके लिए आयी है, आपकी पत्नी, आपकी जीवन साथी, बनकर आयी है
उसे हर दुःख सुख में साथ दें उसे ससुराल में बहुत बहुत प्यार दें।
ताकि जब भी किसी लड़की की शादी हो, तो वो टेंशन लेकर नहीं, पर ख़ुशी ख़ुशी पति के घर आये ससुराल में आये। हम चाहते हैं कि हर बहु हर पत्नी को बहुत प्यार मिले और वो ससुराल में बहुत ही खुश रहे।

Thursday, August 17, 2017

हमारी ब्रा स्ट्रैप से आपकी संस्कृति की सांस क्यों फूलने लगती है?

जाने कितने ही लोगों ने की बातें वो बातें जो ज़रूरी है, महत्वपूर्ण है और साथ ही साथ सतही भी है। जाने कितने ही लोगों ने लिखा बेबाक होकर बिलकुल खुल कर पर हुआ कुछ भी नहीं समाज वहीं है उसकी सोच वहीं है। जहां कितने ही सालो से वो सड़-गल कर बदबू दे रही है और उस बदबू से सभी का पाला पड़ता है, मेरा-तुम्हारा हम सब का।

दो दिन पहले की बात है शाम कुछ आठ बजे की। मैं बस से घर जा रही थी। बस से उतरने के बाद मैं अपनी धुन मे घर की तरफ बढ़ रही थी, शाम थोड़ी ज्यादा हो गयी थी तो मैं जल्दी से जल्दी घर पहुंचना चाह रही थी। एक लड़का जो शायद बस से मेरे ही साथ उतरा था वो भी मेरे पीछे-पीछे चलने लगा। कभी मेरे आगे चलता तो कभी मेरे पीछे। कभी आगे चलकर रुक जाता तो कभी बगल मे आकर मुझे देखता। मुझे कुछ अजीब लग रहा था उसे देखकर, थोड़ा सा डर भी लगा। खैर इस सब को देख कर मैं उसे अनदेखा कर रही थी और हम सब ही ज्यादातर ऐसा ही कुछ करते हैं। अक्सर लड़कियों का पीछा करना, उनपर छिंटाकशी करना इतना आम और स्वीकार है समाज में कि हमें बचपन से ही इन चीजों को नजरअंदाज करना सीखाया जाता रहा है।

थोड़ी देर बाद वही लड़का पास आकर मुझे रोकता है और कुछ इशारे से कहता है। पहले थोड़ा सा समझ नहीं पाई। फिर मैंने पूछा कि क्या कोई बात है ?

तो वो चुप रह कर बस इशारा ही करता रहा। मैं रुक गई और इस बार मैं उसका इशारा समझने की कोशिश करने लगी और समझी भी। दरअसल वो मुझे मेरे बांए कंधे से मेरी ब्रा का स्ट्रैप दिखा रहा था जो मेरे कुर्ते से बाहर दिख रहा था। और ये बात बताते समय उसके चेहरे पर अजीब सी हँसी थी। ऐसा लग रहा था  जैसे वो कोई जंग जीता हो या उसने मेरी लुटती हुई इज़्जत बचाई हो या फिर उसने कोई बहुत ही सराहना वाला काम किया हो।

मैं असहज हो गयी। मुझे मंजूर नहीं उसकी ये मुस्कान जो उसने उस वक्त मुझे देख कर दी। मैंने अपनी ब्रा को ठीक नहीं किया जैसे थी वैसे ही रहने दिया और पूछा क्या तुम्हें कोई परेशानी है मेरी ब्रा से? या कोई दिक्कत? अब वो गुस्से में मुझे देखने लगा और धीरे से निकल गया। मैंने उसको पलटकर सवाल किया जिससे मैं थोड़ी ठीक महसूस करने लगी।

ये कोई पहली घटना नहीं है। हमारे घरों में, हमारे दोस्तों के बीच हर जगह देखती हूं कि ब्रा के स्ट्रैप निकले हैं, क्लिवेज दिख रहे हैं, आँचल ठीक कर लो जैसे कमेंट हम सभी लड़कियों को सुनाया ही जाता रहा है।
क्या ज़रूरी है कि आपको अपने ही कपड़ों के लिए बताया जाए और वो भी वो कपड़े जो साधारण हैं और कपड़ों की ही तरह मैं ठुकराती हूं ऐसे लोगों को जो साधारण को साधारण नहीं रहने देते। तुम मुझे रोक कर मुझे बता रहे हो मुझे मेरी ब्रा के बारे मे तुम कोई हक नहीं रखते।

तुम से सवाल है- अगर तुम इतने ही समझदार और शरीफ हो तो बोलो मेरे कंधों के पास क्यों ही नज़रें थी तुम्हारी? लड़कियों के ये साधारण कपड़े धूप में खुले सूखाये नहीं जाते, एक अजीब सा छिपाव दिखता है। दुकानों में आप साधारण तरीके से ये कपड़े खरीद नहीं पाते।

अपने कॉलेज के दिनों में हमने एक नाटक किया था अनसिविलाइज्ड डॉटर्स। उसमें हमने बताने कि कोशिश की थी कि लड़कियों के अंदरुनी कपड़ों को लेकर सहज होने की ज़रूरत है। इन कपड़ों से समाज की सभ्यता और संस्कृति को कोई खतरा नहीं है।

उन सभी मर्दों के लिये, उस समाज के लिये जो इन कपड़े के टुकड़ों से असहज हो जाते हैं, उनकी संस्कृति की सांस फूलने लग जाती है के लिये कुछ लिखा है-

मेरे अंदरुनी कपड़ों,

हां तुम्हें उतार कर फेंका जाऐगा बिना झिझक के एक दिन और सजाया जाएगा घर की दिवारों पर या उन बाल्कनियों पर जहां केवल सजाए जाते हैं कुछ पुराने खाली पिंजरे, जहां सजाए जाते हैं कुछ बेजान प्लास्टिक के पेड़ और कुछ फूल, तुम्हें बरसों से छुपाया जा रहा कभी अपनी गीली सलवार के नीचे तो कभी अपनी कमीज के नीचे, तुम रहे हो हर घर में हर उस अलमारी  के कोने मे जहां अंधेरा ज़्यादा था तुम्हें छुपाया गया है हर उस इंसान से जो तुम्हारे बारे मे जानने को इच्छुक था, क्या हमेशा से केवल तुम्हें छुपाया ही जाऐगा? मैं चाहती हूं तुम भी औरों की तरह यहां वहां पड़े रहो बिना हिचक के और रहो औरों की तरह साधारण जिसे देख रहस्य सा महसूस ना हो।

तुम्हें भी ज़रूरत है धूप की तुम्हें ज़रूरत है साधारण होने की, केवल साधारण

मेरे रहस्यमय कपड़े मेरे अंदरूनी कपड़े !