Saturday, September 30, 2017

नारी को पूजने का सबसे अच्छा तरीका है, ये सुनिश्चित करना कि-


किसी दुर्गा का गर्भपात न हो,
कोई सरस्वती स्कूल जाने से वंचित न रह जाए,
किसी लक्ष्मी को आर्थिक विपन्नता से न गुजरना पड़े,
किसी काली का उसके रंग के कारण उपहास न हो,
कोई सीता पति द्वारा त्यागी न जाए,
कहीं पार्वती दहेज के लिए प्रताड़ित न हो,

दरअसल ये त्योहार इसीलिए मनाए जाते हैं कि हमें पता रहे कि हमारे अंदर का रावण एक बार में नहीं मर सकता। इसे मारते रहना पड़ता है...निरंतर...प्रति दिन...प्रति वर्ष।

रावण मरे न मरे, हमारे भीतर का राम नहीं मरना चाहिए।

वेश्यालय की मिट्टी से क्यों बनाई जाती है देवी प्रतिमा, जानिए इसकी पौराणिक मान्यता और महत्व

वेश्या का नाम लेना भी जहां सभ्य समाज में अच्छा नहीं माना जाता वहीं आपको जानकर हैरानी होगी कि नवरात्र में मां दुर्गा की प्रतिमा के निर्माण के लिए वेश्यालय की मिट्टी लायी जाती है। इस मिट्टी को मिलाकर देवी की प्रतिमा का निर्माण किया जाता है। इस बात का जिक्र कुछेक फिल्मों में भी किया गया है।र्वपर शायद आपको इसके पीछे की मान्यता और वजह ना पता हो तो ..इसलिए आज हम आपकों इसका उद्देश्य और महत्व बताने जा रहे हैं।

वेश्यालय की मिट्टी प्रयोग करने के पीछे की मान्यता

शारदातिलकम, महामंत्र महार्णव, मंत्रमहोदधि जैसे ग्रंथ और कुछ पारम्परिक मान्यताएं इसकी पुष्टि करते हैं। बांग्ला मान्यताओं के अनुसार गोबर, गोमूत्र, लकड़ी व जूट के ढांचे, धान के छिलके, सिंदूर, विशेष वनस्पतियां, पवित्र नदियों की मिट्टी और जल के साथ निषिद्धो पाली के रज के समावेश से निर्मित शक्ति की प्रतिमा और यंत्रों की विधि पूर्वक उपासना को लौकिक और पारलौकिक उत्थान की ऊर्जा से सराबोर माना गया है।दरअसल ‘निषिद्धो पाली’ वेश्याओं के घर या क्षेत्र को कहा जाता है।
कोलकाता का कुमरटली इलाके में भारत की सर्वाधिक देवी प्रतिमा का निर्माण होता है। वहां निषिद्धो पाली के रज के रूप में सोनागाछी की मिट्टी का इस्तेमाल होता है। सोनागाछी का इलाका कोलकाता में देह व्यापार का गढ़ माना जाता है। तन्त्रशास्त्र में निषिद्धो पाली के रज के सूत्र काम और कामना से जुड़े हैं।

सामाजिक सुधार और सकारात्मक बदलाव का प्रतिक स्वरूप है ये लोकप्रथा

दैवीय प्रतिमा में निषिद्धो पाली की मिट्टी के प्रयोग की परंपरा स्वयं में सामाजिक सुधार के सूत्र भी सहेजे दिखाई देती हैं। यह परंपरा पुरुषों की भूल की सजा भुगतती स्त्री के उत्थान और सम्मान की प्रक्रिया का हिस्सा भी प्रतीत होती है। तंत्र यानी प्राचीन विज्ञान। तन का आनंद या दैहिक सुख तांत्रिय उपासना के मुख्य उद्देश्य हैं। आध्यात्म में कामचक्र को ही कामना का आधार माना जाता है। यदि काम से जुड़े विकारों को दुरुस्त कर लिया जाए और ऊर्जा प्रबंधन ठीक कर लिया जाए तो भौतिक कामनाओं की पूर्ति का मार्ग सहज हो जाता है। आध्यात्म के इन सूत्रों को जानकर व्यक्ति चाहे तो अपनी ऊर्जा कामचक्र पर खर्च कर यौन आनन्द प्राप्त करले, चाहे तो उसी चक्र को सक्रिय कर अपनी समस्त कामनाओं की पूर्ति करलें। ।

Friday, September 29, 2017

इस चित्र को गलत नजरिये से नही बलकि सही नजरिये से देखे .....

रावण बनना भी कहां आसान..

रावण में अहंकार था
तो पश्चाताप भी था

रावण में वासना थी
तो संयम भी था

रावण में सीता के अपहरण की ताकत थी
तो बिना सहमति परस्त्री को स्पर्श भी न करने का संकल्प भी था

सीता जीवित मिली ये राम की ही ताकत थी
पर पवित्र मिली ये रावण की भी मर्यादा थी

राम, तुम्हारे युग का रावण अच्छा था..
दस के दस चेहरे, सब "बाहर" रखता था...!!

महसूस किया है कभी
उस जलते हुए रावण का दुःख
जो सामने खड़ी भीड़ से
बारबार पूछ रहा था.....

Saturday, September 16, 2017

Why government is opposing to consider marital rape as crime?

केंद्र सरकार का मानना है कि महिला को अपने पति को ‘न’ कहने का अधिकार नहीं दिया जा सकता. लिहाजा पत्नी के न कहने के बावजूद अगर उसका पति उसके साथ जबरदस्ती करता है तो उसे बलात्कार नहीं माना जाएगा. केंद्र सरकार के इस रुख से ‘वैवाहिक बलात्कार’ यानी ‘मैरिटल रेप’ एक बार फिर से देश भर में चर्चा का मुद्दा बन गया है. इस मुद्दे से जुड़े तमाम पहलुओं को समझने से पहले जानते हैं कि मैरिटल रेप क्या है और हमारे देश के मौजूदा कानून इस बारे में क्या कहते हैं.
Is there any definition of Marital rape in India?
मैरिटल रेप हमारे देश के कानूनों में कहीं भी परिभाषित नहीं है. दुनिया के जिन देशों में मैरिटल रेप को अपराध माना जाता है वहां इसका सीधा-सा मतलब है कि कोई भी व्यक्ति अपनी पत्नी की इच्छा के विरुद्ध या उसकी अनुमति के बिना, जबरन उससे शारीरिक संबंध नहीं बना सकता. और यदि कोई ऐसा करता है तो उसे बलात्कार का दोषी माना जाएगा.
लेकिन हमारे देश में ऐसा इसलिए नहीं है क्योंकि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 375 - जिसमें रेप यानी बलात्कार की परिभाषा दी गई है - उसमें एक अपवाद भी शामिल है. यह अपवाद कहता है कि अगर पत्नी की उम्र 15 साल से कम नहीं है तो उसके पति द्वारा उसके साथ बनाए गए किसी भी तरह के यौन संबंधों को बलात्कार नहीं माना जाएगा. यही अपवाद हमारे देश में मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी से बाहर कर देता है.
Conntrdiction in our laws
हमारे कानूनों में सिर्फ एक ही परिस्थिति में पत्नी के साथ जबरन बनाए गए संबंधों को अपराध माना गया है.
आईपीसी की धारा 376बी के अनुसार अगर कोई पत्नी अपने पति से अलग रहने लगी हो, तब उसके साथ जबरन यौन संबंध बनाने पर पति को सजा हो सकती है. लेकिन इसे भी बलात्कार नहीं माना गया है और इस अपराध के लिए सजा भी बलात्कार की तुलना में काफी कम है.
इस प्रावधान के अनुसार दोषी को न्यूनतम दो साल और अधिकतम सात साल तक की सजा हो सकती है, जबकि बलात्कार के मामलों में न्यूनतम सजा ही सात साल और अधिकतम सजा उम्र कैद तक है.
इन्हीं विरोधाभासों के चलते दिल्ली उच्च न्यायालय में कुछ याचिकाएं दाखिल की गई हैं. इन याचिकाओं में मांग की गई है कि मैरिटल रेप को अपराध घोषित किया जाए और इसे उतना ही गंभीर माना जाए जितना कि बलात्कार को माना जाता है. इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने केंद्र सरकार से भी जवाब मांगा था. इस पर केंद्र ने शपथपत्र दाखिल करते हुए न्यायालय को बताया कि मैरिटल रेप को अपराध नहीं माना जा सकता. लेकिन इसके लिए केंद्र ने जो आधार बताए हैं, वे सही नहीं कहे जा सकते.
मैरिटल रेप पर केंद्र सरकार का रुख
केंद्र सरकार ने मुख्यतः दो कारणों से मैरिटल रेप को अपराध मानने से इनकार किया है
ऐसा करने से ‘विवाह की संस्था अस्थिर’ हो सकती है. यह बिलकुल वैसा ही तर्क है जैसा कुछ दशक पहले हिंदू धार्मिक कानूनों में सुधार के दौरान दिया जाता था. इस्लाम या ईसाई धर्म की तरह हिंदू धर्म में शादी को कॉन्ट्रेक्ट नहीं माना गया है. हिंदू धर्म के अनुसार विवाह एक संस्कार है और यह जन्म-जमांतर का अटूट रिश्ता होता है. लिहाजा हिंदू धर्म में तलाक का कोई प्रावधान नहीं था. ऐसे में जब हिंदू धार्मिक कानूनों में सुधार होने लगे और तलाक का प्रावधान बनाया गया
इसके दुरुपयोग की संभावनाएं बहुत ज्यादा हैं. सरकार ने दहेज़ उत्पीड़न के लिए बने कानून और विशेष तौर से आईपीसी की धारा 498ए (पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा उत्पीड़न किया जाना) का हवाला देते हुए कहा है कि मैरिटल रेप को अगर अपराध घोषित किया जाता है तो उसका दुरुपयोग भी 498ए की तरह होने लगेगा.
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि धारा 498ए का दुरुपयोग भी हुआ है. इसी कारण अब सर्वोच्च न्यायालय ने इस तरह के मामलों में पति और उसके रिश्तेदारों की गिरफ्तारी पर रोक लगाने के साथ ही यह भी निर्देश जारी कर दिए हैं कि इस धारा के तहत मामला दर्ज होने से पहले एक स्थानीय समिति मामले की जांच करेगी. ऐसा होने से 498ए के झूठे मामलों पर रोक भी लगी है और सच में पीड़ित महिलाओं को न्याय मिलने का विकल्प भी बना हुआ है. ऐसा ही मैरिटल रेप के मामले में भी हो सकता है.
कानून के जानकारों का मानना है कि दुरुपयोग का खतरा हर कानून में ही होता है. झूठे आरोप किसी भी अपराध के लगाए जा सकते हैं फिर चाहे वह चोरी हो, लूट हो या बलात्कार हो. इससे निपटने के लिए सरकार को अलग से व्यवस्थाएं मजबूत करनी चाहिए. लेकिन दुरुपयोग की संभावना के डर से कानून ही न बनाए जाने को कई जानकार बिलकुल गलत और अतार्किक मानते हैं. कुछ आंकड़ों के अनुसार देशभर में दस प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं वैवाहिक जीवन में यौन हिंसा और बलात्कार का शिकार होती हैं. यह अपने-आप में बहुत बड़ा आंकड़ा है. इसलिए कई जानकारों और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि सिर्फ दुरुपयोग की संभावना के चलते मैरिटल रेप की असल पीड़ितों को बिना कोई कानूनी विकल्प दिए नहीं छोड़ा जा सकता.
मौजूदा कानून में यौन हिंसा से पीड़ित पत्नियों के पास क्या विकल्प हैं?
ऐसा नहीं है कि मौजूदा कानून में यौन हिंसा से पीड़ित पत्नियों के पास कोई विकल्प ही न हों. भले ही ये विकल्प उतने मजबूत नहीं हैं जितना कि मैरिटल रेप को अपराध मान लिए जाने से हो सकते हैं, लेकिन कुछ विकल्प आज भी महिलाओं के पास हैं. इनमें से एक विकल्प तो वही है जिस पर ऊपर भी हम चर्चा कर चुके हैं.
यदि कोई महिला अपने पति से अलग रहने लगे और तब उसका पति उसके साथ जबरन यौन संबंध बनाए तो वह महिला आईपीसी की धारा 376बी के तहत अपने पति पर मुकदमा कर सकती है. इस धारा के अंतर्गत दोषी को सात साल तक की सजा हो सकती है. लेकिन इस धारा के अंतर्गत वे महिलाएं न्याय नहीं मांग सकतीं जो अपने पति के साथ रहते हुए मैरिटल रपे की शिकार हो रही हों.
इसके अलावा महिलाओं के पास यह भी विकल्प है कि वे घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत अपने पति के खिलाफ मामला दर्ज करवा सकती हैं. इस अधिनियम में जबरन बनाए गए यौन संबंधों को हिंसा की परिभाषा में शामिल किया गया है. लिहाजा ‘मैरिटल रेप’ से पीड़ित कोई भी महिला अपने पति के खिलाफ घरेलू हिंसा का मामला दर्ज करवा सकती है. लेकिन मैरिटल रेप को परिभाषित करने और अपराध घोषित करने की मांग करने वाले मानते हैं कि मौजूदा व्यवस्था में जो विकल्प हैं वे इस अपराध को उसकी गंभीरता से साथ दण्डित करने की बात नहीं करते. इन लोगों का मानना है कि मैरिटल रेप बलात्कार जितना ही जघन्य अपराध घोषित होना चाहिए.
कई मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि मैरिटल रेप बलात्कार से भी ज्यादा जघन्य अपराध है. इन लोगों के अनुसार मैरिटल रेप के पीड़ितों के साथ ये अपराध बार-बार दोहराया जाता है और उनके पास इससे बचने के कोई विकल्प नहीं होते. लिहाजा इस तरह के अपराध के पीड़ित पर गंभीर मनोवैज्ञानिक प्रभाव होते हैं. लगभग ऐसा ही वर्मा समिति ने भी माना था और अपनी रिपोर्ट में मैरिटल रपे को अपराध घोषित करने के मांग की थी.
मैरिटल रेप पर वर्मा समिति की रिपोर्ट क्या कहती है?
2012 के कुख्यात निर्भया गैंगरेप मामले के बाद महिलाओं से जुड़े कानूनों में सुधार के लिए जस्टिस वर्मा की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था. इस समिति की संस्तुतियों के आधार बलात्कार से जुड़े कई कानूनों में बदलाव भी किये गए. लेकिन वर्मा समिति की रिपोर्ट को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया गया था. वर्मा समिति का गठन 23 दिसंबर 2012 को किया गया था. इसके ठीक एक महीने बाद इस समिति ने लगभग साढ़े छह सौ पन्नों की अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी. इस रिपोर्ट में पेज नंबर 113 से 118 तक मैरिटल रेप पर चर्चा की गई है.
जस्टिस वर्मा और उनके साथियों ने इस रिपोर्ट में कहा था कि ‘मैरिटल रेप का अपराध की श्रेणी से बाहर होना उस रुढ़िवादी मानसिकता को दर्शाता है जिसमें पत्नियों को पति की संपत्ति से ज्यादा कुछ नहीं समझा जाता.’ रिपोर्ट में यूरोपियन मानवाधिकार आयोग के एक मामले का हवाला देते हुए लिखा है, ‘हम इस निष्कर्ष से सहमत हैं कि एक बलात्कारी, बलात्कारी ही होता है और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उसका पीड़ित से क्या रिश्ता था.’
आगे इस रिपोर्ट में कहा गया था, ‘धारा 375 से मैरिटल रेप का अपवाद समाप्त किया जाए और कानून में यह स्पष्ट किया जाए कि पीड़ित का अपराधी से क्या रिश्ता है, कोई मायने नहीं रखता. बलात्कार के मामलों में यह अपराधी का पीड़ित का पति होना न तो कोई बचाव हो सकता है और ही सजा कम करने का कोई आधार.’ लिहाजा वर्मा समिति ने स्पष्ट कहा था कि एक पति अगर अपनी पत्नी की इच्छा के खिलाफ उसके साथ यौन संबंध बनाता है तो उसे बलात्कार का दोषी माना जाना चाहिए और इसकी सजा भी उतनी ही होनी चाहिए जितनी आम तौर पर बलात्कार के मामलों में होती है.
वर्मा समिति ने मैरिटल रेप को कानून में शामिल करने के संबंध में यह भी कहा था कि ऐसा करने के लिए पुलिस, अभियोजन और समाज को भी इस बारे में जागरूक करना जरूरी है. दक्षिण अफ्रीका का उदाहरण देते हुए इस रिपोर्ट में कहा गया था कि वहां कानून बनने के बाद भी मैरिटल रेप के मामलों में ज्यादा कमी नहीं आई क्योंकि पुरानी मान्यताओं के चलते समाज में इस तरह के अपराध या तो स्वीकार्य थे या उन्हें उतना गंभीर नहीं माना जाता था. लिहाजा वर्मा समिति ने माना कि मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने के साथ ही इस पर व्यापक जागरूकता कार्यक्रम चलाने भी जरूरी हैं.
वर्मा समिति की संस्तुतियों को तत्कालीन केंद्र सरकार ने जल्द ही कानून का रूप दे दिया था लेकिन समिति की सारी बातों को इसमें शामिल नहीं किया गया.

मैरिटल रेप पर समिति की संस्तुति को सरकार ने नकार दिया था और 375 में मौजूद अपवाद को लगभग वैसा ही बनाए रखा.
कई लोग यह भी सवाल करते हैं कि मैरिटल रेप को लागू करने पर इसके दुरुपयोग की संभावनाएं बहुत होंगी और इस बारे में वर्मा समिति ने भी कोई टिप्पणी नहीं की है. इस सवाल के जवाब में ‘ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव विमेंस एसोसिएशन’ की सचिव कविता कृष्णन कहती हैं, ‘मैरिटल रेप का बहुत दुरुपयोग होगा, इससे विवाह की संस्था कमज़ोर हो जाएगी, लड़के शादी करने से डरने लगेंगे आदि, इस तरह की जितनी भी बातें कही जा रही हैं, वो सिर्फ इस मुद्दे को कमज़ोर करने के लिए हैं. पित्रसत्तात्मक व्यवस्था को जब भी चुनौती मिली है, ऐसी बातें कही ही गई हैं.’

#BeingWoman is 'Expectations'

SHARED BY ONE OF THE PAGE FOLLOWERS ASKING US TO SHARE. Could feel the pain in words specially when you are being cheated.

TO HUSBANDS: Be satisfied with the vagina of your wife only. 

Don't cheat your wife. THE PAIN you inflict on your wife by running after cheap ladies who destroy your important UNION TO YOUR BEAUTIFUL WIFE is horrible! Only one vagina is important. The rest you must run away from. Run away from vaginas I plead with you. HONOUR YOUR MARRIAGE! Stay away from chatting with women who want your time. LAUGH TOGETHER WITH YOUR WIFE AND ENJOY YOUR WIFE'S COMPANY! 

I repeat run away from all vaginas. God's word says: "It is God's will that you should be sanctified: that you should avoid sexual immorality"(1 Thes 4:3). RUN FOR YOUR LIFE! Maintain your integrity. FIGHT TO STAY PURE! Write this down : a man who is not faithful with his penis will have a bad name for thousands of years. GUARD YOUR PENIS! It holds your integrity. YOUR RESPECT! 

Love your wife alone and her alone all the days of your life. A POWERFUL MAN HONOURS HIS WIFE AND GIVES ALL HIS PENIS TO HER ALONE! I repeat for weak men, love only your wife and her vagina. RUN AWAY FROM VAGINAS if you want to have a good name! Run more than 700km an hour and run far way. 

The NT bible says: "Run from sexual sin!"(1 Corinthians 6:18). My DB bible says: "Fly fornication". RUN TO the arms of your WIFE! Fly to the arms of your beautiful wife. Never find comfort in the bosom of women around you. RUN TO THE LOVE OF YOUR WIFE with excitement! 

The one you said I do to before God is the beautiful one. SHE IS THE ONE GOD BLESSED WITH THE LOVE YOU NEED AS A HUSBAND! Think about her and your children. SHE IS YOUR WIFE! The most important person on earth. YOUR WIFE! Honour this simple lesson, next time when I meet you, I will talk more. WHY WILL I TALK MORE? Because I am looking for "faithful men". 

YOU CANNOT TALK CERTAIN THINGS IF A PERSON IS NOT FAITHFUL. The bible says: "and what you have heard from me in the presence of many witnesses entrust to faithful men who will be able to teach others also"(2 Timothy 2:2).


Friday, September 15, 2017

Thank You MoM !


• PLEASE READ •

Your mom carried you in her
womb for nine months. She felt
sick for months with nausea, then
she watched her feet swell and
her skin stretch and tear. She
struggled to climb stairs. She got
breathless quickly. She suffered
many sleepless nights. She then
went through EXCRUCIATING PAIN
to bring you into this world. She
became your nurse, your chef,
your maid, your chauffeur, your
biggest fan, your teacher, and
your best friend. She's struggled
for you, cried over you, hoped the
best for you, and prayed for you.

Most of us take our mom for
granted. But there are people
who have lost or never even seen
theirs.

Thank you Mom!

Sunday, September 3, 2017

अब अपनी पत्नी का बलात्कार करने के 5 'सरकारी' कारण

ऐसे तो महिलाओं के कंवारे रहने में ही भलाई है, क्योंकि शादी के बाहर ही रेप को रेप माना जाता है, और कोई अदालत तब आपके सही या गलत होने का सुबूत भी नहीं मांगती.
इस देश के कितने आदमी सेक्स के बाद अपनी पत्नी से पूछते होंगे कि क्या वो संतुष्ट हुई? मर्दों के लिए सेक्स सिर्फ खुद को संतुष्ट करने का साधन है. औरतों को भी सदियों से यही समझाया गया है कि पति तो परमेश्वर है, पति को संतुष्ट करना, उसकी इच्छाओं की पूर्ति करना ही पत्नी का सबसे बड़ा धर्म है. औरत का न कहना, उसका मन न होना या उसकी तबीयत ठीक न होना वगैरह तो बहाने मात्र हैं. और ऐसे में अगर पति, पत्नी से जबरदस्ती संबंध बनाता है (जिसे बलात्कार कहते हैं) तो उसमें गलत ही क्या है?



अगर पति बलात्कार करे तो आपको विरोध नहीं करना चाहिए, क्योंकि शादी पवित्र बंधन होता है
शादी तो सात जन्मों का बंधन होता है, और पति आपका परमेश्वर, तो अगर पति बलात्कार करे तो आपको विरोध नहीं करना चाहिए. यही तो सरकार भारत की महिलाओं को समझा रही है, कि दुनिया का कोई भी मर्द तुम्हारा बलात्कार करे तो आवाज उठाओ, पर पति करे तो चुप रहो, क्योंकि वो पति है उसने तुमसे शादी करके तुम्हारे साथ कुछ भी करने का लाइसेंस लिया है. (वो बात और है कि इस लाइसेंस के लिए तुमने उसे अच्छा खासा दहेज भी दिया है)
भारत में मैरिटल रेप को अपराध नहीं माना जा सकता, सरकार इसपर अड़ी हुई है और इसकी कुछ वजह भी साफ तौर पर बताई गई हैं, जो इस प्रकार हैं-
1. मैरिटल रेप की कोई सही परिभाषा है ही नहीं-
सरकार मानती है कि हमारे समाज में बलात्कार तो सब जानते हैं, लेकिन वैवाहिक बलात्कार क्या होता है, ये कोई नहीं जानता. और जब इसकी कोई परिभाषा ही नहीं दे सकता तो इसपर कानून कैसे लाया जा सकता है? एक बार महिला की शादी हो गई फिर उसके बाद उसके अपने अधिकार, उसकी पसंद के कोई मायने होते ही नहीं. और कंसेंट... वो क्या होता है?? इसलिए अगर शादी के बाद आपके साथ कुछ बी होता है तो वो गलत नहीं, सही ही होता है.
2. शादी नाम की संस्था को बचाना सर्वोपरी-
समाज में शादी ही सबसे बड़ी और जरूरी चीज है, किसी भी बलात्कार से ज्यादा. और फिर अगर ये मैरिटल रेप लागू कर भी दिया जाए तो सरकार को भोले भाले पतियों की और भी चिंता सताएगी, कि कहीं बेचारे पति इन शातिर पत्नियों की ब्लैकमेलिंग का शिकार न होने लग जाएं.
3. मैरिटल रेप के सबूत भी तो जरूरी हैं-
सरकार का कहना है कि अगर पति द्वारा अपनी ही पत्नी के साथ की जाने वाली सभी यौन क्रियाएं वैवाहिक बलात्कार के अंतर्गत आएंगी तो फिर निर्णय तो केवल पत्नी के ही हाथ में रह जाएगा. फिर ऐसे में अदालत किन सुबूतों पर अपना निर्णय सुनाएगी, क्योंकि पति और पत्नी के बीच की यौन क्रियाओं में तो कोई सुबूत भी नहीं होगा. फिर सही और गलत का फैसला होगा कैसे ?
ऐसे तो कंवारा रहने में ही भलाई है, क्योंकि शादी के बाहर ही रेप को रेप माना जाता है, और कोई अदालत तब आपके सही या गलत होने का सुबूत भी नहीं मांगती.


शादी से पहले बलात्कार हो तो अपराध, शादी के बाद हो तो अपराध नहीं??
4. समाज को कानून की नहीं जागरुकता की जरूरत है-
सरकार कहती है कि अगर मैरिटल रेप पर कानून बन भी जाए तो भी मैरिटल रेप बंद नहीं होगा. क्योंकि इस तरह की घटनाएं केवल नैतिकता और सामाजिक जागरुकता के कारण ही रुक सकती हैं.
अगर ऐसा है तो फिर अपराध के लिए कानून की जरूरत ही क्या है. क्योंकि सभी तो नैतिकता से जुड़े मामले ही होते हैं, चाहें बलात्कार हो या आतंकवाद. सती प्रथा और दहेज प्रथा को भी रोकने के लिए कानून बनाने की क्या जरूरत थी, समाज के जागरुक होने का ही इंतजार कर लेते.  
5. मैरिटल रेप पाश्चात्य सोच है-
सरकार मानती है कि वैवाहिक बलात्कार जैसा कुछ भारत में होता ही नहीं है, ये कॉन्सेप्ट तो विदेशों से आया है. इससे ज्यादा हास्यास्पद और क्या होगा? कपड़े और संस्कृति के साथ-साथ अब भारत की महिलाओं ने मैरिटल रेप जैसी विदेशी चीज को भी अपना लिया है... अच्छा हुआ सरकार ने ये नहीं कहा कि बलात्कार भी पाश्चात्य संस्कृति का हिस्सा है, भारत तो महापुरुषों का देश है.
हालांकि सरकार ने इसके लिए असाक्षरता को दोषी जरूर करार दिया है. यानी सरकार के हिसाब से तो देश के सारे अनपढ़ रेपिस्ट हैं.
तीन तलाक से जीतती तो मैरिटल रेप से हारती महिलाएं
वैसे इस मामले में सरकार को दोष देने से कुछ नहीं होने वाला. ये सारा खेल तो समाजा का खेला है. जिस देश का समाज प्रेम विवाह पर ऑनर किलिंग करता हो, बलात्कार करने पर शादी बलात्कारी से करवाने की पैरवी करता हो, वो समाज भला शादी में रेप को क्या समझेगा. और ऐसे समाज में सरकार मेरिटल रेप को लागू भी कैसे कर सकती है. समाज के इसी ताने बाने में उलझी सरकार और हमेशा की तरह प्रताड़ित होती महिलाएं. हैरानी होती है कि ये वही सरकार है जो तीन तलाक को गलत माने, लेकिन मैरिटल रेप को नहीं !