Tuesday, January 31, 2017

बलात्कार

शरीर के कामुक अंगों के प्रदर्शन और वस्त्रो की
माप बलात्कार को सही नही ठहरा सकती है ,
ये किसी भी रूप में सही नही है। जहां तक मेरा
मानना है वस्त्र पहनने की आज़ादी और अंगों का
प्रदर्शन बलात्कार के मुख्य कारण नही है।
...... प्रश्न ये उठता है कि बलात्कार का कारण
क्या है .. तो आपको पता हो इसका मुख्य कारण
है समाज की विचारधारा, समाज का चिंतन ,
और समाज की सोच। स्पस्ट बात बताऊं तो
बलात्कार की संख्या का निर्धारण समाज ही
करता है।
... समाज ऐसा क्या करता है ,क्या सोच
विकसित करता है युवाओ में , युवा की क्या
विचारधारा है इस मुद्दे पर , भले ही लाखो
प्रदर्शन कर लो , लाख मोमबती जला लो , कोई
फायदा नही , जलाना है तो उस सोच को
जलाओ ,उस मानसिकता के विरुद्ध आत्ममंथन
करो ........

माँ तुम्हारा ऋण बहुत है ....


तिनका तिनका जोड़ा तुमने, अपना घर बनाया तुमने
अपने तन के सुन्दर पौधे पर हम बच्चों को फूल सा सजाया तुमने
हमारे सब दुःख उठाये और हमारी खुशियों में सुख ढूँढा तुमने
हमारे लिए लोरियां गाईं और हमारे सपनों में खुद के सपने सजाये तुमने.

हम बच्चे अपनी अपनी राह चलते गये, और तुम?
तुम दूर खडीं चुपचाप अपना मीठा आर्शीवाद देतीं रहीं.
पल बीते क्षण बीते....
समय पग पग चलता रहा...अपना हिसाब लिखता रहा...और आज?

आज धीरे धीरे तुम जिन्दगी के उस मुकाम पर आ पहुंची
जहाँ तुम थकी खड़ी हो ---शरीर से भी और मन से भी.

मेरा मन मानने को तैयार नहीं, मेरा अंतर्मन सुनने को तैयार नहीं...

क्या तुम्हारे जिस्म के मिटने से सुब कुछ खत्म हो जायेगा?
क्या चली जाओगी तुम अपने प्यार की झोली समेट कर?
क्या रह जायेंगे हम तुम्हारी भोली सूरत देखने को तरसते हुए?
क्या रह जायेंगे हम तुम्हारी गोदी में छुपा अपना बचपन ढूँढते हुए?

बोलो माँ?
क्या कह जाओगी इन चंदा सूरज धरती और तारों से?
इन राह गुज़ारों से.....नदिया के बहते धारों से?
क्या कह जाओगी माँ? किसी सौंप जाओगी हमें माँ?

या फिर....? या फिर....?
बिखरा जाओगी अपना प्यार अपनी दुआएं और अपनी ममता
इस कायनात के चिरंतन समुन्दर की लहर लहर पर?

क्या इस जनम में चुन पायेंगे हम वो दुआएं?
पर वादा है माँ.....

इन सब जनमों के पार हम फिर मिलेंगे
तुम्हारी दुआएं चुन कर.
तुम्हारे प्यार से भरी झोली समेट कर, एक नया जिस्म ले कर
हम फिर मिलेंगे माँ...
जन्म जन्मान्तरों से परे...हंसते मुस्कराते.. हम फिर मिलेंगे
फिर एक नई दुनिया बसाएँगे...
इन बिखरते आंसुओं को चुन कर खुशियों में बदल देंगे
पापा, मै, तुम और बच्चे, हम फिर मिलेंगे, हमेशां साथ साथ खुश रहेंगे.

इन शब्दों को लिखते जीते जो आंसू मैने गिराये
और जो तुमने नहीं देखे,
वो आँसू तुम पर मेरा क़र्ज़ हैं माँ....

तुम्हें भी ये क़र्ज़ चुकाना होगा
इन बिखरे आँसूओं को समेट कर खुशियों में बदलना होगा
तुम्हें भी एक वाद करना होगा.....

क्या फिर से एक बार जन्म जन्मान्तरों के पार मिलोगी?
क्या फिर एक बार मुझसे लाल धागे का रिश्ता जोड़ोगी?
क्या फिर एक बार मुझे अपने तन पर सुन्दर फूल सा सजाओगी?
क्या फिर मेरी नन्हीं उंगली थामे मेरे संग-संग चलोगी?
क्या फिर मेरी वाणी पर अपना सम्मोहन बिखराओगी?
क्या फिर अपनी ममता की छाया से मेरा जीवन संवार दोगी?
क्या फिर अपनी मीठी लोरियां गा कर मुझे सुलाऔगी?
क्या फिर मुझे सजना संवरना और गुनगुनाना सिखाओगी?
क्या फिर मेरे नन्हे पंखों में ऊंची उड़ान भरोगी?

बोलो माँ? क्या फिर एक बार मिलोगी?

---------------------- अंजना भट्ट

मेरे देश की लड़कियों

तुमने शायद बचपन से सुना होगा कि लड़कियां फूलों सी नाज़ुक होती हैं, ये भी सुना होगा कि तुम्हें फूल सा नाज़ुक होना चाहिए। तुमसे कहा गया होगा कि अँधेरा होने से पहले घर लौट आओ, कपड़ा ढंग से पहनो, धीमी आवाज़ में बात करो, कोई कुछ कहे तो सुन लो, सुन कर अनसुना कर दो।नज़र नीची रखो, पर मत निकालो, सवाल मत करो, खामोश रहो, ज़ुल्म सहो, सब्र करो, धैर्य रखो, इत्यादि, इत्यादि।

पर मैं तुमसे कहना चाहता हूँ कि तुम फूलों सी नाज़ुक नहीं हो और ना तुम्हें फूल जैसा बनना चाहिये। दरअसल तुम ऐसे दौर में जी रही हो कि जब तुम्हें फूल नहीं, काँटों जैसा बनना होगा, क्यूंकि फूलों को आसानी से कुचला जा सकता है पर काँटों को नहीं। फूल सिर्फ़ बहार का मौसम देखते हैं पर काँटे, काँटे हर मौसम में सीना ताने खड़े रहते हैं। जाड़ा, गर्मी, बरसात, पतझड़, या बहार, काँटे हर मौसम में जीवित रहते हैं, साँस लेते हैं, जीतते हैं, जीते हैं, डर कर नहीं बल्कि डराकर। मेरे देश की लड़कियों, तुम्हें उन्हीं काँटों की तरह डरकर नहीं, बल्कि डराकर जीना होगा।

तुम्हें काँटों की तरह इसलिए भी बनना होगा ताकि कोई तुम्हारी तरफ़ हाथ बढ़ाने से पहले दस बार, हज़ार बार सोचे, तुमसे डरे, तुम्हारी ताक़त से डरे। तुम्हें काँटों जैसा इसलिए भी बनना होगा ताकि तुम्हें कुचलने से पहले, तुम पर पाँव धरने से पहले, हर आदमी सोचे, घबराए।

तुम काँटों जैसी बनोगी तो तुम्हारी प्रतिभा, तुम्हारी क़ाबलियत, तुम्हारे हुनर को तुम्हारे सौन्दर्य या खूबसूरती से पहले नहीं रखा जाएगा। तुम्हारी कामयाबी का श्रेय तुमको मिलेगा, ना कि तुम्हारी खूबसूरती को, तुम काँटों की तरह रहोगी तो समाज की ये धारणा टूट जाएगी।

तुम्हारा काँटों की तरह होना इसलिए भी ज़रूरी है ताकि जब ये समाज तुम्हारे ऊपर संस्कारों की, तहज़ीब की, नियमों की, रूढ़िवाद की चादर डालेगा, तुम्हें उससे लपेटने की कोशिश करेगा, तो तुम उस चादर को चीर कर बाहर आ जाओगी।

इसलिए, मेरे देश की लड़कियों, फूलों सा नाज़ुक नहीं, काँटों सा मज़बूत बनो। सहना नहीं लड़ना सीखो। ख़ामोश होना नहीं, बोलना सीखो। झुकना नहीं, उड़ना सीखो। सवाल करो, जवाब माँगों, अपना हक़ माँगों, उसके लिए लड़ो, तुम्हारी कोख में जो आदमी जन्म लेता है, वो तुमसे बड़ा नहीं हो सकता, वो तुम्हें दबा नहीं सकता, तुम्हें कुचल नहीं सकता।

जिस दिन तुम अपनी ताक़त जान जाओगी, तुम्हें किसी से डर नहीं लगेगा, इसलिए अपनी ताक़त को पहचानो।

~तुम्हारे जैसे ही एक लड़की की कोख से जन्मा एक आदमी

बंदिशे हर रिश्तों में और मैं निभाती चली गई...!

पिता ने बंदिशे लगाई,
उसे संस्कारो का नाम दे दिया.....!!
सास ने कहा अपनी इच्छाओं को मार दो,
उसे परम्पराओं का नाम दे दिया....!!
ससुर ने घर को कैदखाना बना दिया,
उसे अनुशासन का नाम दे दिया.....!!
पति ने थोप दिये अपने सपने अपनी इच्छायें,
उसे वफा का नाम दे दिया.....!!
बच्चों ने अपने मन की की,
और उसे नयी सोच का नाम दे दिया...!!
ठगी सी खड़ी मैं जिन्दगी की राहों पर,
और मैने उसे किस्मत का नाम दे दिया.....!!
मंदिर में गयी तो , महाराज ने उसे कर्म का नाम दे दिया।
जिंदगी तो मेरी थी एक पल जीने को तरस गयी।
फिर भी इन चलती सांसों को हमने ज़िन्दगी का नाम दे दिया।

Salute to all Female

पहचान

सर पे सिंदूर का “ फैशन ” नही है !
गले मे मंगलसूत्र का “टेंशन” नही है !!,,
माथे पे बिंदी लगाना “आउटडेटेड” लगती है !
तरह तरह की लिपस्टिक अब होंठो पेसजती है !!,,
आँखो मे काजल और मस्कारा लगाती हैं !
नकली पलकों से आँखो को खूब सजाती हैं !!,,
मूख ऐसा रंग लेती हैं की दूर से चमकता है !
प्रफ्यूम इतना तेज की मीलों से महकता है !!,,
जो नथ कभी नाक की शोभा बढ़ती थी !
आज होठ और जीभ पे लग नाक को ठेंगा दिखती हैं !!,,
बालो की “स्टाइल” जाने कैसी -कैसी हो गयी !
वो बलखाती लंबी चोटी ना जाने कहाँ खो गयी !!,,
और परिधान तो ऐसे “डिज़ाइन” मे आये हैं !
कम से कम पहनना इन्हे खूब भाये है !!,,
आज अंग प्रदर्शन करना मजबूरी सी लगती है !
सोचती है इसी मेइनकी खूबसूरती झलकती है !!,,
पर आज भी जब कोई भारतीय परिधान पहनती है !
सच बताऊं सभी की आँखे उस पेही अटकती है !!,
सादगी,भोलापन और शर्म ही भारतीय स्त्री की पहचान है !,
मत त्यागो इन्हें यही हमारे देश का स्वाभिमान है,स्वाभिमान।

संस्कृति कि दुहाई वाला ताना मत मारो।

शादी हुई ... दोनों बहुत खुश थे!
स्टेज पर फोटो सेशन शुरू हुआ! ...
दूल्हे ने अपने दोस्तों का परिचय साथ खड़ी अपनी साली से करवाया...
"ये है मेरी साली , आधी घरवाली "दोस्त ठहाका मारकर हंस दिए !
दुल्हन मुस्कुराई और अपने देवर का परिचय अपनी सहेलियो से करवाया...
"ये हैं मेरे देवर ..आधे पति परमेश्वर "ये क्या हुआ ....?
अविश्वसनीय ...अकल्पनीय!
भाई समान देवर के कान सुन्न हो गए!
पति बेहोश होते होते बचा!
दूल्हे , दूल्हे के दोस्तों , रिश्तेदारों सहित सबके चेहरे से मुस्कान गायब हो गयी,
लक्ष्मन रेखा नाम का एक गमला अचानक स्टेज से नीचे टपक कर फूट गया,
स्त्री की मर्यादा नाम की हेलोजन लाईट भक्क से फ्यूज़ हो गयी !
थोड़ी देर बाद एक एम्बुलेंस तेज़ी से सड़कों पर भागती
जा रही थी! जिसमे दो स्ट्रेचर थे ! एक स्ट्रेचर पर भारतीय संस्कृति कोमा में पड़ी थी ...
शायद उसे अटैक पड़ गया था! दुसरे स्ट्रेचर पर पुरुषवाद घायलअवस्था में पड़ा था ...
उसे किसी ने सर पर गहरी चोट मारी थी!
आसमान में अचानक एक तेज़ आवाज़ गूंजी ....
भारत की सारी स्त्रियाँ एक साथ ठहाका मारकर हंस पड़ी थीं,
ये व्यंग ख़ास पुरुष वर्ग के लिए है जो खुद तो अश्लील
व्यंग करना पसंद करते हैँ पर जहाँ महिलाओं कि
बात आती हैं वहां संस्कृति कि दुहाई देते फिरते हैं...

बेवक़ूफ़ : एक गृहणी

वो रोज़ाना की तरह आज फिर इश्वर का नाम लेकर उठी थी ।
किचन में आई और चूल्हे पर चाय का पानी चढ़ाया।
फिर बच्चों को नींद से जगाया ताकि वे स्कूल के लिए तैयार हो सकें ।
कुछ ही पलों मे वो अपने सास ससुर को चाय देकर आयी फिर बच्चों का नाश्ता तैयार किया और इस बीच उसने बच्चों को ड्रेस भी पहनाई।
फिर बच्चों को नाश्ता कराया।
पति के लिए दोपहर का टिफीन बनाना भी जरूरी था।
इस बीच स्कूल की बस आ गयी और वो बच्चों को बस तक छोड़ने चली गई ।
वापस आकर पति का टिफीन बनाया और फिर मेज़ से जूठे बर्तन इकठ्ठा किये ।
इस बीच पतिदेव की आवाज़ आई की मेरे कपङे निकाल दो ।
उनको ऑफिस जाने लिए कपङे निकाल कर दिए।
अभी पति के लिए उनकी पसंद का नाश्ता तैयार करके टेबिल पर लगाया ही था की छोटी ननद आई और ये कहकर ये कहकर गई की भाभी आज मुझे भी कॉलेज जल्दी जाना, मेरा भी नाश्ता लगा देना।
तभी देवर की भी आवाज़ आई की भाभी नाश्ता तैयार हो गया क्या?
अभी लीजिये नाश्ता तैयार है।
पति और देवर ने नाश्ता किया और अखबार पढ़कर अपने अपने ऑफिस के लिए निकल चले ।
उसने मेज़ से खाली बर्तन समेटे और सास ससुर के लिए उनका परहेज़ का नाश्ता तैयार करने लगी ।
दोनों को नाश्ता कराने के बाद फिर बर्तन इकट्ठे किये और उनको भी किचिन में लाकर धोने लगी ।
फिर उसने सारे बर्तन धोये अब बेड की चादरें वगेरा इकट्ठा करने पहुँच गयी और फिर सफाई में जुट गयी ।
अब तक 11 बज चुके थे, अभी वो पूरी तरह काम समेट भी ना पायी थी कि दरवाजे पर खट खट आवाज आयी ।
दरवाज़ा खोला तो सामने बड़ी ननद और उसके पति व बच्चे सामने खड़े थे ।
उसने ख़ुशी ख़ुशी सभी को आदर के साथ घर में बुलाया और उनसे बाते करते करते उनके आने से हुई ख़ुशी का इज़हार करती रही ।
ननद की फ़रमाईश के मुताबिक़ नाश्ता तैयार करने के बाद अभी वो नन्द के पास बेठी ही थी की सास की आवाज़ आई की बहु आज खाने का क्या प्रोग्राम हे ।
उसने घडी पर नज़र डाली तो 12 बज रहे थे ।
उसकी फ़िक्र बढ़ गयी वो जल्दी से फ्रिज की तरफ लपकी और सब्ज़ी निकाली और फिर से दोपहर के खाने की तैयारी में जुट गयी ।
खाना बनाते बनाते अब दोपहर का दो बज चुके थे ।
बच्चे स्कूल से आने वाले थे, लो बच्चे आ गये ।
उसने जल्दी जल्दी बच्चों की ड्रेस उतारी और उनका मुंह हाथ धुलवाकर उनको खाना खिलाया ।
इस बीच छोटी नन्द भी कॉलेज से आगयी और देवर भी आ चुके थे ।
उसने सभी के लिए मेज़ पर खाना लगाया और खुद रोटी बनाने में लग गयी ।
खाना खाकर सब लोग फ्री हुवे तो उसने मेज़ से फिर बर्तन जमा करने शुरू करदिये ।
इस वक़्त तीन बज रहे थे ।
अब उसको खुदको भी भूख का एहसास होने लगा था ।
उसने हॉट पॉट देखा तो उसमे कोई रोटी नहीं बची थी ।
उसने फिर से किचन की और रुख किया तभी पतिदेव घर में दाखिल होते हुये बोले की आज देर हो गयी भूख बहुत लगी हे जल्दी से खाना लगादो ।
उसने जल्दी जल्दी पति के लिए खाना बनाया और मेज़ पर खाना लगा कर पति को किचन से गर्म रोटी बनाकर ला ला कर देने लगी ।
अब तक चार बज चुके थे ।
अभी वो खाना खिला ही रही थी की पतिदेव ने कहा की आजाओ तुमभी खालो ।
उसने हैरत से पति की तरफ देखा तो उसे ख्याल आया की आज मैंने सुबह से कुछ खाया ही नहीं ।
इस ख्याल के आते ही वो पति के साथ खाना खाने बैठ गयी ।
अभी पहला निवाला उसने मुंह में डाला ही था की आँख से आंसू निकल आये
पति देव ने उसके आंसू देखे तो फ़ौरन पूछा की तुम क्यों रो रही हो ।
वो खामोश रही और सोचने लगी की इन्हें कैसे बताऊँ की ससुराल में कितनी मेहनत के बाद ये रोटी का निवाला नसीब होता हे और लोग इसे मुफ़्त की रोटी कहते हैं ।
पति के बार बार पूछने पर उसने सिर्फ इतना कहा की कुछ नहीं बस ऐसे ही आंसू आगये ।
पति मुस्कुराये और बोले कि तुम औरते भी बड़ी "बेवक़ूफ़" होती हो, बिना वजह रोना शुरू करदेती हो।
सभी ग्रहणीयों को नमन जिनकी वजह से हमारे घरों में प्यार ममता वात्सल्य की गंगा बहती है,
और उनका समर्पण अतुलनीय है।
धन्यवाद..

अहमियत-बीबी की

सुबह उठ कर पत्नी को पुकारते है सुनो चाय लाओ
थोड़ी देर बाद फिर आवाज़, सुनो नाश्ता बनाओ
क्या बात है ,आज अभी तक अखबार नहीं आया जरा देखो तो ,
किसी ने दरवाजा खटखटाया
अरे आज बाथरूम में ,
साबुन नहीं है क्या
और देखो तो,
कितना गीला पड़ा है तौलिया अरे ,ये शर्ट का बटन टूटा है, जरा लगा दो और मेरे मौजे कहाँ है,जरा ढूंढ के ला दो
लंच के डब्बे में बनाये है ना, आलू के परांठे
दो ज्यादा रख देना,
मिस जूली को है भाते
देखो अलमारी पर कितनी
धुल जमी पड़ी है
लगता है कई दिनों से डस्टिंग नही की है
गमले में पौधे सूख रहे है, क्या पानी नहीं डालती हो दिन भर करती ही क्या हो बस गप्पे मारती हो
शाम को डोसा खाने का मूड है, बना देना
बच्चों की परीक्षाये आ रही है पढ़ा देना
सुबह से शाम तक कर फरमाईशें नचाते है चैन से सोने भी नहीं देते,सताते है दिनभर में बीबीयाँ कितना काम करती है
ये तब मालूम पड़ता है जब वो बीमार पड़ती है
एक दिन में घर अस्त व्यस्त हो जाता है
रोज का सारा रूटीन ही ध्वस्त हो जाता है
आटे दाल का सब भाव पता
पड़ जाता
बीबी की अहमियत क्या है ,
ये पता चल जाता
सभी पत्नियों को सलाम
Dedicated to all wonderful women-
दिन की रोशनी ख्वाबों को बनाने मे गुजर गई, रात नींद को मनाने मे गुजर गई। जिस घर मे मेरे नाम की तखती भी नहीं, सारी उमर उस घर को सजाने मे गुजर गई। Respect ur relations
Respect girl
Respect women..

Early Warning Signs Of Breast Cancer Woman Don’t Take Serious (Lumps Are Not Only Sings Of Breast Cancer)

The warning signs of breast cancer are not the same for all women. The most common signs are a change in the look or feel of the breast, a change in the look or feel of the nipple and nipple discharge.

If you have any of the warning signs described below, see a health care provider.

If you do not have a provider, one of the best ways to find a good one is to get a referral from a trusted family member or friend. If that’s not an option, call your health department, a clinic or a nearby hospital.

In most cases, these changes are not cancer.

For example, breast pain is more common with benign breast conditionsthan with breast cancer. However, the only way to know for sure is to see a provider.

If you have breast cancer, it is best to find it at an early stage, when the chances of survival are highest.

Breast lumps or lumpiness

Many women may find that their breasts feel lumpy.

Breast tissue naturally has a bumpy texture. Some women have more lumpiness in their breasts than others. In most cases, this lumpiness is no cause to worry.

Lumps that feel harder or different from the rest of the breast (or the other breast) or that feel like a change should be checked. This type of lump may be a sign of breast cancer or a benign breast condition (such as a cyst orfibroadenoma).

Learn more about benign breast conditions.

See a health care provider if you:

Find a new lump (or any change) that feels different from the rest of your breast
Find a new lump (or any change) that feels different from your other breast
Feel something that is different from what you felt before
It’s best to see a provider if you are unsure about a new lump (or any change).
Although a lump (or any change) may be nothing to worry about, you will have the peace of mind it was checked.

If you have had a benign lump in the past, don’t assume a new lump will also be benign. The new lump may not be breast cancer, but it’s best to make sure.

Nipple discharge

Liquid leaking from your nipple (nipple discharge) can be troubling, but it’s rarely a sign of breast cancer.

Discharge can be your body’s natural reaction when the nipple is squeezed.

Signs of a more serious condition (such as breast cancer) include discharge that:

Occurs without squeezing the nipple
Occurs in only one breast
Is bloody or clear (not milky)
Nipple discharge can also be caused by an infection or other condition that needs treatment. If you have any nipple discharge, see a health care provider.

Source:   www.mrhealthylife.com

Tuesday, January 24, 2017

BPSC: बिहार एक परिचय 2 (बिहार का भूगोल)

प्रस्तावना
बिहार लोक सेवा आयोग के परीक्षा में 10 से 15 प्रश्न बिहार से सम्बंधित आते है | इनमे से कुछ प्रश्न की प्रकृति तथ्यात्मक होती है जिसे याद करने का एक ही विकल्प है उसे रट्टा मारना| इस लेख में बिहार के भूगोल बारे में कुछ परीक्षा उपयोगी तथ्य का संग्रह किया गया है |

बिहार का भूगोल

अक्षांशीय विस्तार – 24° 20′ 50”से 27° 31′ 15” उत्तरी अक्षांश
देशांतरीय विस्तार – 83° 19′ 50”से 88° 17′ 40” पूर्वी देशांतर
आकृति – आयताकार
क्षेत्रफल – 94163 वर्ग किलो मी .
लंबाई (उत्तर से दक्षिण ) –345 किमी
चौड़ाई -(पूर्व से पश्चिम) –483 किमी
औसत ऊंचाई – समुद्र तट से 52 .73 मी.
सीमाएं – उत्तर में नेपाल(7 जिलों से सीमा बनाती है ) ,दक्षिण में झारखण्ड(9 जिलों से ) , पूर्व में पश्चिम बंगाल (3 जिलों से ),पश्चिम में उत्तर प्रदेश (7 जिलों से )
बिहार की जलवायु – मानसूनी
औसत वर्षा – 112 से.मी.
शुद्ध बोया गया क्षेत्र – 56,94,642हेक्टेयर,60.48 प्रतिशत
गैर कृषि कार्यों में लगी भूमि –16,35,467 हेक्टेयर ,17.37 प्रतिशत
ऊसर या गैर कृषि योग्य भूमि – 4,36,503 हेक्टेयर ,4.64 प्रतिशत
स्थायी चारागाह –18,356 हेक्टेयर ,0.19 प्रतिशत
विविध पेड़ व बगीचा – 2,30,286 हेक्टेयर , 2.45 प्रतिशत
बाढ़ प्रवाहित क्षेत्र – 64.41 लाख हेक्टेयर

बिहार की संरचना व उनका विस्तार –

धारवाड़ चट्टान – गया ,नवादा , जमुई ,मुंगेर , बांका
विंध्यन समूह की चट्टानें – कैमूर, रोहतास
टर्शियरी चट्टानें – पश्चिमी चंपारण
क्वार्टरनरी काल की चट्टानें – गंगा के मैदानी भागों में

बिहार में वन

कुल भौगोलिक क्षेत्र – 94,163 sq km
कुल वन क्षेत्र – 7,288 sq km
वन का क्षेत्रफल प्रतिशत में – 7.74%
अति सघन वन क्षेत्र – 248 sq km
राज्य में संरक्षित वन क्षेत्र – 3208.47 sqkm
राज्य में गैर संरक्षित वन क्षेत्र – 76.3 sqkm
राष्ट्रीय पार्क – 1, वाल्मिकीनगर
वन्य जिव अभ्यराण्य – 11
बिहार में सर्वाधिक वन क्षेत्र वाले जिले – कैमूर ,प चंपारण
बिहार में न्यूनतम वन क्षेत्र वाले जिले – शिवहर ,शेखपुरा
बिहार में वन के प्रकार – दो (आद्र पर्णपाती व शुष्क पर्णपाती वन)
आद्र पर्णपाती वन के वृक्ष – शीशम, शेलम, शाल, खैर
शुष्क पर्णपाती वन के वृक्ष – महुआ, आम, कटहल, जामुन

बिहार के प्रमुख अभ्यारण्य व सम्बंधित जिले

वाल्मिकीनगर राष्ट्रीय उद्यान – प. चंपारण
वाल्मिकी आश्रयणी – प. चंपारण
गौतम बुद्ध अभ्यारण्य – गया
भीम बांध अभ्यारण्य – मुंगेर
विक्रमशीला गंगा डॉलफिन अभ्यारण्य – भागलपुर
कैमूर अभ्यारण्य – रोहतास (बिहार का सबसे बड़ा अभ्यारण्य)
पन्त अभ्यारण्य – नालंदा
परमार डॉल्फिन अभ्यारण्य – अररिया
कावर पक्षी विहार – बेगूसराय
कुशेश्वर पक्षी विहार – दरभंगा
गोगाबिल पक्षी विहार – कटिहार
नागी डैम व नकटी डैम पक्षी विहार – जमुई
सुहियान पक्षी विहार – भोजपुर
संजय गाँधी जैविक उद्यान – पटना
हरिया बारा हिरण पार्क – अररिया

बिहार में सिंचाई

कुल सिंचित क्षेत्र – 45,50,244 हेक्टेयर
सिंचित क्षेत्र (प्रतिशत में) – 48.33%
सिंचाई के मुख्य स्रोत- नलकूप , नहरें ,तालाब , कुआं,जलमग्न गड्ढ़े
नलकूप द्वारा सिंचित भूमि का प्रतिशत – 55.4 %
नहर द्वारा सिंचित भूमि का प्रतिशत – 34 %
तालाब द्वारा सिंचित भूमि का प्रतिशत – 3.2 %
कुआं द्वारा सिंचित भूमि का प्रतिशत – 0.5 %
अन्य साधनों द्वारा सिंचित भूमि का प्रतिशत – 6.5 %
वृहद सिंचाई परियोजना की सिंचाई क्षमता – 10,000 हेक्टेयर से अधिक (कमांड क्षेत्र)
माध्यम सिंचाई परियोजना की सिंचाई क्षमता – 2000 से 10000 हेक्टेयर
लघु सिंचाई परियोजना की सिंचाई क्षमता – 2000 हेक्टेयर से कम
सर्वाधिक सिंचित भूमि वाला जिला – शेखपुरा
न्यूनतम सिंचित भूमि वाला जिला – जमुई
नहर सिंचाई में अग्रणी जिलें – रोहतास , प. चंपारण
नहर द्वारा न्यूनतम सिंचाई वाले जिलें – मुजफ्फरपुर , वैशाली

बिहार की प्रमुख सिंचाई परियोजनाएं एवं नहरें

1 . सोन बहुद्देशीय परियोजना – 1874
प्रमुख नहरें –
पूर्वी सोन नहर- (औरंगाबाद , अरवल ,पटना ,गया , जहानाबाद )
प. सोन नहर – (आरा , बक्सर ,रोहतास )
2 . गंडक परियोजना (त्रिवेणी)-1904
मुख्य बांध – वाल्मिकीनगर डैम
मुख्य नहरें

प. नहर -(गोपालगंज ,सारण,सिवान)
पूर्वी नहर या तिरहुत नहर – (पश्चिमी व पूर्वी चंपारण , मुजफ्फरपुर ,वैशाली )
3 . कोशी बहुद्देशीय परियोजना – 1954 -55
मुख्य बांध– हनुमार नगर बांध
मुख्य नहरें – पूर्वी कोशी नहर (पूर्णिया , अररिया )

बिहार की नवीनतम सिंचाई परियोजनाएं एवं सम्बंधित जिलें

बरनाल जलाशय योजना – भागलपुर ,जमुई
उत्तर कोयल जलाशय योजना – गया , औरंगाबाद
पुनपुन बैराज योजना – औरंगाबाद, गया, पटना ,जहानाबाद
बटेश्वरनाथ पम्प नहर योजना – भागलपुर
जमानिया पम्प नहर योजना – कैमूर
अपर किउल जलाशय योजना – मुंगेर , लखीसराय
तिलैया डायवर्सन योजना – गया, नवादा
दुर्गावती जलाशय योजना – रोहतास , कैमूर
बटाने जलाशय योजना – औरंगाबाद
बागमती परियोजना – सीतामढ़ी

बिहार की नदियां व उनके उदगम स्थान

गंगा – गंगोत्री
घाघरा या सरयू – मचपाचुंग ,तिब्बत
गंडक – सप्तगंडकी नेपाल
बूढी गंडक – सोमेश्वर श्रेणी
बागमती – महाभारत श्रेणी ,नेपाल
कमला – महाभारत श्रेणी , नेपाल
कोसी – सप्तकौशिकी ,नेपाल
महानंदा – मकलादियाराम , दार्जलिंग
कर्मनाशा – विंध्याचल पहाड़ी
सोन – अमरकंटक
पुनपुन – चोराहा पहाड़ी , पलामू
फल्गु – हजारीबाग पठार
पंचानेन – उत्तरी छोटानागपुर
सकरी – उत्तरी छोटानागपुर
अजय – बटपाड़ , चकाई,जमुई

बिहार के जलप्रपात

प्रमुख झरने ,जलकुंड व उनके उदगम स्थल

सप्तधारा या सतघरवा – राजगीर
ब्रह्मकुंड – राजगीर
सूर्यकुंड – राजगीर
नानक कुंड – राजगीर
मख दुम कुंड – राजगीर
गोमुख कुंड – राजगीर
लक्ष्मण कुंड – मुंगेर
सीता कुंड – मुंगेर
रामेश्वर कुंड – मुंगेर
ऋषि कुंड – मुंगेर
जन्म कुंड – मुंगेर
श्रृंगार ऋषि कुंड – मुंगेर
भरारी कुंड – मुंगेर
अग्नि कुंड – गया