तुमने शायद बचपन से सुना होगा कि लड़कियां फूलों सी नाज़ुक होती हैं, ये भी सुना होगा कि तुम्हें फूल सा नाज़ुक होना चाहिए। तुमसे कहा गया होगा कि अँधेरा होने से पहले घर लौट आओ, कपड़ा ढंग से पहनो, धीमी आवाज़ में बात करो, कोई कुछ कहे तो सुन लो, सुन कर अनसुना कर दो।नज़र नीची रखो, पर मत निकालो, सवाल मत करो, खामोश रहो, ज़ुल्म सहो, सब्र करो, धैर्य रखो, इत्यादि, इत्यादि।
पर मैं तुमसे कहना चाहता हूँ कि तुम फूलों सी नाज़ुक नहीं हो और ना तुम्हें फूल जैसा बनना चाहिये। दरअसल तुम ऐसे दौर में जी रही हो कि जब तुम्हें फूल नहीं, काँटों जैसा बनना होगा, क्यूंकि फूलों को आसानी से कुचला जा सकता है पर काँटों को नहीं। फूल सिर्फ़ बहार का मौसम देखते हैं पर काँटे, काँटे हर मौसम में सीना ताने खड़े रहते हैं। जाड़ा, गर्मी, बरसात, पतझड़, या बहार, काँटे हर मौसम में जीवित रहते हैं, साँस लेते हैं, जीतते हैं, जीते हैं, डर कर नहीं बल्कि डराकर। मेरे देश की लड़कियों, तुम्हें उन्हीं काँटों की तरह डरकर नहीं, बल्कि डराकर जीना होगा।
तुम्हें काँटों की तरह इसलिए भी बनना होगा ताकि कोई तुम्हारी तरफ़ हाथ बढ़ाने से पहले दस बार, हज़ार बार सोचे, तुमसे डरे, तुम्हारी ताक़त से डरे। तुम्हें काँटों जैसा इसलिए भी बनना होगा ताकि तुम्हें कुचलने से पहले, तुम पर पाँव धरने से पहले, हर आदमी सोचे, घबराए।
तुम काँटों जैसी बनोगी तो तुम्हारी प्रतिभा, तुम्हारी क़ाबलियत, तुम्हारे हुनर को तुम्हारे सौन्दर्य या खूबसूरती से पहले नहीं रखा जाएगा। तुम्हारी कामयाबी का श्रेय तुमको मिलेगा, ना कि तुम्हारी खूबसूरती को, तुम काँटों की तरह रहोगी तो समाज की ये धारणा टूट जाएगी।
तुम्हारा काँटों की तरह होना इसलिए भी ज़रूरी है ताकि जब ये समाज तुम्हारे ऊपर संस्कारों की, तहज़ीब की, नियमों की, रूढ़िवाद की चादर डालेगा, तुम्हें उससे लपेटने की कोशिश करेगा, तो तुम उस चादर को चीर कर बाहर आ जाओगी।
इसलिए, मेरे देश की लड़कियों, फूलों सा नाज़ुक नहीं, काँटों सा मज़बूत बनो। सहना नहीं लड़ना सीखो। ख़ामोश होना नहीं, बोलना सीखो। झुकना नहीं, उड़ना सीखो। सवाल करो, जवाब माँगों, अपना हक़ माँगों, उसके लिए लड़ो, तुम्हारी कोख में जो आदमी जन्म लेता है, वो तुमसे बड़ा नहीं हो सकता, वो तुम्हें दबा नहीं सकता, तुम्हें कुचल नहीं सकता।
जिस दिन तुम अपनी ताक़त जान जाओगी, तुम्हें किसी से डर नहीं लगेगा, इसलिए अपनी ताक़त को पहचानो।
~तुम्हारे जैसे ही एक लड़की की कोख से जन्मा एक आदमी
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