Monday, March 6, 2017

हम लड़कियाँ भी कितनी अजीब होती हैं ना!

हम लड़कियाँ भी कितनी अजीब होती हैं ना! कभी-कभी लगता है सच-मुच हमें समझने के लिए बनाया ही नहीं गया है।
कभी हमें ये चाहिए कभी वो, हम आम भी कहते हैं और इमली भी, हमें पापा से सबसे ज़्यादा प्यार है मगर हमारी माँ के ख़िलाफ़ पापा भी एक शब्द नहीं कह सकते हैं, हम आज़ादी भी चाहते हैं और उनकी लगाई हुई बंदिशों से हमें प्यार भी हो जाता है! कभी-कभी सोचती हूँ कि हमें ही नहीं पता की हमें चाहिए क्या! उन दोहरे चेहरे वालों से सबसे ज़्यादा नफ़रत हमें ही है और अनजाने में ही सही दो ज़िन्दगियाँ हम ख़ुद ही जीते रहते हैं।
हमें बचपन से ही सबसे ज़्यादा क्रेज शार्ट पैंट्स पहनने का होता है मगर जब पहली दफ़ा उनसे मिलना हो तो घर आते ही हमारा पहला सवाल होता है कि, "वो पीला वाला सूट कहाँ रक्खा है?" हम हमेशा कहते हैं कि, "हमें खाना नहीं बनाना है, हम सिर्फ चौका-बेलन के लिए थोड़ी बनाये गए हैं!" मगर उसके पसंद की खीर हमें अपने हाथों से ही बनानी होती है। हम अक्सर उससे फ़ोन पर लड़ते रहते हैं कि ये काम तुम करोगे, वो काम तुम करोगे मगर मन ही मन हम सुबह चार बजे उठकर चाय बनाने से लेकर रात तक उसका ख़याल रखने का ख़्वाब सजाते रहते हैं।
विद्या का वो डायलाग तो एकदम हमारे लिए ही है की, "हम चाहते हैं कि तुम चाहो कि तुम ना चाहो!"
फिर लगता है नहीं अजीब नहीं है हम, हमें बस थोड़ा सा प्यार चाहिए उसके बाद तो हम वो पानी हो जाते हैं जो जिसमे मिले उस जैसी हो जाती है।

#श्वेता जायसवाल

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