वैसे तो अभी तक के प्रोफेशनल कैरियर में #विवाहेत्तर_संबंध से जुड़े तमाम मामले आये हैं लेकिन जिन मामलों में पुरुष विवाहित हो और महिला अविवाहिता,और महिला को उसके साथी पुरुष के विवाहित होने की बात पता हो,वहाँ एक बात समान रुप से देखने को मिली कि प्रथमतः जब दोनों के बीच संबंध महज आकर्षण,मेल-मिलाप और बातचीत तक ही सीमित रहे और उस दौरान महिला उस संबंध से निकलने की कोशिश करती है तो पुरुष तरह-2 से भावनात्मक बातें करके उसे उस संबंध में बने रहने के लिये मजबूर कर देता है,मसलन "मैं अगर तुमसे प्रेम करता हूँ तो अपनी पत्नी और घर-परिवार के प्रति अपने प्रेम में कोई कमी नहीँ करता,सारी जिम्मेदारियों को अच्छी तरह से निभा रहा हूँ,तुम साथ न रहीं तो मैं जी नहीँ पाऊँगा,मर जाऊँगा,तुम्हारी बातों से इतना दुखी हूँ कि सोने-खाने और किसी भी काम में मन नहीँ लगता,हरदम तुम्हीं को सोच रहा हूँ,मैं तुम्हारा साथ कभी नहीँ छोडूंगा,तुम मेरी हो और जबतक तुम्हारी शादी नहीँ हो जाती है तबतक मेरी ही बनकर रहना,अगर संभव हो तो शादी के बाद भी मुझसे रिश्ते कायम रखना................." और भी दुनिया भर की तमाम बातें जिन्हें सुनकर महिला का दिल पिघल उठता है.कई बार तो ब्लैकमेलिंग भी करते हैं क्योंकि बातचीत और मेलजोल के दौरान महिला अपने जीवन के कमजोर और मज़बूत पक्षों से उस विवाहित पुरुष को पहले ही अवगत करा चुकी होतीं है जिस वजह से भी वह ऐसे संबंध से निकल पाने की हिम्मत नहीँ जुटा पाती है....
समस्या ये है कि अभी तक महिलाओं में अपेक्षित जागृति का अभाव है जिस कारण साथी के चुनाव में भयंकर गलतियां हो जाती हैं.इन गलतियों से निपटने का एक ही उपाय है कि महिलाओं को सही शिक्षा,जागृति और स्वतंत्रता तीनों साथ-2 दिये जायें वरना किसी एक की कमी सारे प्रयास विफल कर देगी.
मेरी लिखी बातों को हर कोई समझ नही सकता,क्योंकि मैं अहसास लिखती हूँ,और लोग अल्फ़ाज पढ़ते हैं..! अनुश्री__________________________________________A6
Tuesday, June 21, 2016
विवाहेत्तर_संबंध
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