Saturday, April 15, 2017

एक दुखिया

#आज तबियत कुछ ठीक नहीं है इसलिए प्लीज़ आज नहीं। मुझे असुविधा होती है।
समझा करो। समझा करो,😢😢😢
#क्या समझूँ तुम्हारा तो ये हर महीने का नाटक है, सारे मूड का सत्यानाश कर दिया। कोई फर्क नहीं पड़ता , मुझे तुम्हारे इस तरह के चोंचलों से, ज्यादा दिमाग ना ख़राब करो। अरे सुनो तो प्लीज़, मुझे बहुत पेन है इसलिए कह रही हूँ।
#एकदम बर्दाश्त ही नहीं हो रहा है। तो मैं क्या करूँ दर्द हो रहा है तो, इसलिए शादी की है क्या, तुम्हारे नखरे तो कम होने का नाम ही नहीं लेते, कभी बुखार है तो कभी सिरदर्द है, कभी थक गई हो तो कभी बच्चा रो रहा है और ऊपर से ये तुम्हारा हर महीने का सिरदर्द। कैसी औरत से पाला पड़ा है। किसी काम की नहीं हो, इससे अच्छा तुम वापस अपने माँ बाप के पास चली जाओ। जरुरत नहीं है मुझे तुम्हारी। जाओ यहाँ से। निकल जाओ मेरे घर से।
#थप्पड़, घूँसा, लात और नीले निशान। किसको दिखाए वो, किसको बताये। सास से बोली, तो सास बोली भइया ये तुम दोनों परानी का मामला है जैसा वो चाहेगा तुमको करना पड़ेगा।
#मायके वालों से कुछ कह नहीं सकती। किसी तरह माँ से कुछ दबे ढंके स्वर में कुछ बताया भी तो , बेटा रहना तो वहीँ है तो बर्दाश्त करो। चाहे जैसे हो। माँ मैं अब वापस नहीं जाना चाहती,
#उस घर में, जहाँ मुझे इंसान ही नहीं समझा जाता। माँ वो बिल्कुल जानवर हैं। मैं नहीं जाउंगी अब, मुझे उनसे डर लगता है।
#देखो ना माँ मेरी पीठ, कितने नीले निशान हैं, 2 महीने पहले तो मेरा हाथ ही टूट गया था, अभी 10 दिन पहले प्लास्टर कटा है। अब मुझसे जाने को ना कहना। हाँ तुम्हारे पास भी जगह ना हो मेरे लिए, तो बता देना माँ। बता देना।😢😢😢😢😢
Jitender Kumar

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