Monday, June 19, 2017

7 लड़कियों के साथ संबंध बनाने वाले लड़के सीना चौड़ा करते हैं, और लड़कियां Slut कहलाती हैं

अरे! ऐसी लड़कियां 'रंडी' होती हैं.' भाई! कैसे वो कैसे हुई रंडी? जब 7 लड़कों के साथ सेक्स करती है, तो क्या देवी हुई? ऐसी ही लड़कियों का रेप होता है.' रात के 10 बजे मैं और मेरे दोस्त इस बात पर आपसी बहस कर रहे थे. मैं बस उसे इतना ही समझाना चाह रहा था कि लड़की एक लड़के के साथ शारीरिक संबंध बनाए या फ़िर 7 लड़कों के साथ, ये उसकी मर्ज़ी है. यह अधिकार हमें किसी ने नहीं दिया है कि हम उसे 'रंडी' कह सकें. लेकिन वो मानने को तैयार ही नहीं था. वाद-विवाद के क्रम में हम ये भूल चुके थे कि हमें घर भी जाना है. उस समय मैं और मेरे दोस्त, दिल्ली के एक मीडिया संस्थान से पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहे थे.

Source: Just Another
'रंडी' शब्द लड़कियों के लिए ऐसे प्रयोग किया जाता है, जैसे हम किसी को 'Hello' कहते हैं. दरअसल, ये लड़कियों के कैरेक्टर को दिया गया एक तमगा होता है, जिसे हम अपने अनुसार ईनाम के स्वरुप दे देते हैं. हंस कर बात करना, छोटी स्कर्ट पहनना, कई लड़कों के साथ दोस्ती करना, रात में छत पर बात करना और बाइक पर लड़कों की तरह बैठना, अगर लड़कियां ऐसा करती हुए पाई गईं, तो मतलब ये है कि वो रंडी हैं. हालांकि, लड़कों को समाज ने हर मामले में विशेषाधिकार दे रखा है.
महिलाओं के मुद्दे पर बॉलीवुड हाल ही में दो मूवीज़ रिलीज़ हुई हैं, जिनमें महिला होने के अर्थ, संघर्ष, अधिकार और आज़ादी के बारे में बताया गया है.
मैं एक खानदानी लड़का हूं, मगर समाज के लिए अपवाद हूं, क्योंकि मेरी तीन बहनें और मेरी एक मां भी हैं. मैं वो सब कुछ नहीं कह और कर सकता हूं, जो खानदानी लड़के करते हैं. खानदानी लड़कों का मतलब बड़बोले, जिन्हें समाज में कुछ भी करने का सर्टिफिकेट प्राप्त है.

Source: The Hindu
हमारे समाज में लड़कों को कभी 'रंडी' नहीं कहा जाता है, क्योंकि हमें छूट है, लड़कियों को छेड़ने, उन पर फब्तियां कसने, उन्हें परेशान करने और उन्हें सेक्स के लिए अप्रोच करने की.
7 लड़कों से साथ सेक्स करने वाली लड़कियां रंडी कहलाती हैं, तो 7 लड़कियों के साथ संबंथ बनाने वाले लड़के गर्व क्यों करते हैं?

Source: The Hindu
शरीर पर मात्र नरमुंडों की माला धारण करने वाली मां काली को हम देवी के रूप में पूजते हैं, मगर किसी लड़की को उसके कथित भड़काऊ कपड़े के लिए उसे रंडी वाला तमगा दे देते हैं. हम उस दोगले समाज में रह रहे हैं, जहां हम अपनी बहन के लिए चाहते हैं कि रास्ते में उसे कोई ना छेड़े, बस में देखते ही कोई उसे बैठने के लिए सीट दे दे, रिक्शे वाला बिना बकवास किए, उसे सुरक्षित घर पहुंचा दें, लेकिन दूसरी तरफ हम बाकी लड़कियों के साथ कुछ भी करने का सर्टिफिकेट ले कर चलते हैं. न्यूटन का तीसरा सिद्धांत कहता है कि हर क्रिया के विरुद्ध एक प्रतिक्रिया होती है. कहने का मतलब बबूल रोपोगे, तो बबूल ही उगेगा, न कि आम. अगर आप लड़कियों का अपमान करेंगे, तो कोई और 'पुरुष 'आपकी बहन-बेटी का भी तो अपमान करेगा.
इसलिए अगर हमें सचमुच महसूस होता है कि हमारी बहनें या बेटियां सुरक्षित नहीं हैं और उन्हें वाज़िब सम्मान नहीं मिलता, तो अपने आस-पास मौजूद हर लड़की को इज्ज़त देनी होगी. तभी औरत के प्रति इस स्वस्थ सोच को आगे बढ़ाया जा सकेगा कि औरत, औरत होने से पहले एक इन्सान होती है और उसे भी जीवन में वो सब कुछ अपनी मर्ज़ी से करने का हक़ है, जो पुरुषों को है. किसी पुरुष को ये अधिकार कतई नहीं है कि वो उसे चरित्र प्रमाण पत्र दे.

by Bikram Singh

______________बिकाऊ_दूल्हा______________

आजकल बिकाऊ दूल्हों के रेट 😉
1. चपरासी- (5 लाख ) ये आपको बहुत आसानी से मिल जायेंगे,
2.सरकारी अकाउंटेंट, sub इंस्पेक्टर,बैंककर्मी इत्यादि- ( 15-20 लाख) ये भी थोड़ी मसक्कत से तुरंत मिल जायेंगे, बस पैसे का लालच दो तो।
3.डॉक्टर- (20-25 लाख) इन्हें खोजना मुश्किल है, अगर मिल भी जाये तो साथ में एक्स्ट्रा कार का लालच देना पड़ता है ,
4.इंजिनियर-(25-50 लाख) इनके भाव इतने है,की सुनके कान से खून निकल जाए, अगर बड़े कंपनी में वो है, तो इनका भाव आसमान छु सकता है , फिर भी बिकाऊ तो बिकाऊ होता है ना पैसे हो तो मिल ही जाते है.
5.बड़े व्यपारी,बड़े अफसर इत्यादि-- इनका रेट मैं नही बता सकती इनको खरीदना भगवान् को खरीदने जैसा है, ये बहुत ही मुश्किल से बिकते है 😉
मेरी बहनो अगर जीवन में अच्छे किस्म के पति खरीदना ,है तो अभी से उनके लिए पैसा जमा करना चालू कर दो, चाहे माँ बाप के सारे सम्पति ही क्यों ना बेचना पर जाये, चाहे भाई बहन के सपनो का गला ही क्यों ना घोटना पड़े, यहाँ रिश्तों की अहमियत नही पैसो का बाजार है।
अगर इतना सब करने के बाद भी पति आपको और दहेज़ के लिए प्रतापित कर रहा हो, माफ़ कीजियेगा , दहेज़ के इस दौर में गरैन्टी की इच्छा न करे।
अगर आप बेटो में थोड़ा सा भी सर्म है, रिश्तों का व्यपार बंद कीजिये,क्योंकि रिश्तों का कोई मोल नही है,वो अनमोल है ।
अगर ये पोस्ट आपको अच्छी लगी तो आप शेयर जरूर
कीजिये
.............Stop Dowry System..............

पत्नी का रेप कर, शादी के पवित्र रिश्ते को शर्मसार करने वालों को क्या नहीं मिलनी चाहिए सज़ा?

अनीता की शादी 18 साल की उम्र में हुई थी. सुहागरात के दिन उसके साथ जो रेप होने का का सिलसिला शुरू हुआ, वो कई महीनों तक चला. अनीता का पति IAS अफ़सर था. अकसर वो रात में पी कर घर लौटता और उसके साथ दरिंदों की तरह पेश आता. एक समय ऐसा था, जब वो सोचने लगी कि क्या शादीशुदा ज़िन्दगी ऐसी ही होती है. उसके पति के लिए उसकी इच्छा और सहमती कोई मायने नहीं रखती थी.
रात दर रात उसकी यातनाएं बढ़ती चली गयीं. एक बार तबियत ख़राब होने की वजह से जब अनीता ने अपने पति के साथ सोने से मना किया, तो उसने ज़बरदस्ती उसके गुप्तांग में कैंडल डाल दी. वो उसे जबरन पॉर्न दिखाता और उसके बाद उससे वो सब करने को कहता, जो पॉर्नस्टार्स पॉर्न में करते. एक रात जब वो बुखार में तप रही थी, उसने उसे अपने पास आने से रोकने के लिए धक्का दे दिया. इस पर उसने अनीता के बेहोश हो जाने तक गोल्फ़ स्टिक से उसे बेरहमी से पीटा.
ये मेरिटल रेप की शिकार हुई एक औरत की आपबीती है
मेरिटल रेप, यानि शादी के बाद पति द्वारा पत्नी के साथ ज़बरदस्ती सम्बन्ध बनाना. ये कहानी सुन कर आप इसका अंदाज़ा तो लगा सकते हैं कि इस औरत पर क्या गुज़री होगी. लेकिन इससे ज़्यादा बुरा है भारत में ऐसी घटनाओं को अपराध की श्रेणी में न रखा जाना. हमारे देश में Marital Rape एक क्राइम नहीं है, न ही इसके लिए कोई सज़ा तय की गयी है.
शादी के बंदन में बंधी बनी औरतें
रेप एक जघन्य अपराध है, ये हम सब जानते हैं. वो रेप का ही अपराध था, जिससे आक्रोशित होकर सारा देश 2012 में सड़कों पर उतर आया था. लेकिन यही रेप जब शादी के बाद होता है, तो अपराध नहीं कहलाता. इससे यही समझ आता है कि एक तरह से शादी पति के लिए रेप करने का लाइसेंस बन जाती है. Consent, सहमती, ये सभी शब्द शादी के बाद एक औरत के लिए अपने मायने खो देते हैं. ये चौंकाने वाली बात है कि ऐसे अपराध को सामान्य ठहराने के लिए भी किसी के पास कोई तर्क हो सकता है.

औरत मात्र उपभोग की वस्तु?
अमेरिका में शादी के बाद बलात्कार को 1993 से अपराध माना जाने लगा था. पोलैंड, रूस और नॉर्वे जैसे कुछ देशों में पचास साल पहले ही इसके खिलाफ़ क़ानून बन गए थे, लेकिन भारत में आज भी इसके खिलाफ़ कोई क़ानून नहीं है. ये सोचने वाली बात है कि क्या देवी का रूप मानी जाने वाली नारी, शादी के बाद मात्र एक उपभोग की वस्तु रह जाती है?

अनजान व्यक्ति द्वारा बलात्कार से भी बुरा है ये
अगर कोई कहे कि पति द्वारा किया जाने वाला रेप भी उतना ही अमानवीय है, जितना कि किसी अनजान द्वारा किया गया रेप, तो मैं इससे सहमत नहीं हूं. जब रेप एक अनजान व्यक्ति द्वारा किया जाता है, तो आपका उससे कोई भावनात्मक जुड़ाव नहीं होता, वो इंसान शायद आपको दोबारा कभी दिखाई भी न दे, आप उसके खिलाफ़ रिपोर्ट कर सकती हैं, क़ानून के तहत वो दोषी होता है, उसे सज़ा मिलती है और आपके दर्द को भी लोगों की सहानुभूति मिलती है.

ज़रा एक बार पति द्वारा किये जाने वाले रेप के बारे में सोचिये. जो शादी के वक़्त आपका रक्षक बनने का वचन देता है, वो ही भक्षक बन जाता है, आपको उससे भावनात्मक जुड़ाव होता है, अपेक्षाएं होती हैं. ज़ाहिर है ऐसी दरिंदगी सहने के बाद आपको उससे नफ़रत हो जाएगी, लेकिन फिर भी आपको रोज़ उसका चेहरा देखना होगा, आप उसके साथ एक घर में रहने को मजबूर होंगी, आप इसके खिलाफ़ शिकायत ही नहीं कर सकतीं, तो इंसाफ़ मिलने का सवाल ही नहीं उठता, शायद आपके परिवारवाले भी कह दें कि शादी की है, निभाओ किसी भी तरह. जो हर रात बार-बार आपकी आत्मा को रौंद रहा है, उसके साथ एक बंधन में बंधा होना कई अधिक बुरा है, लेकिन फिर भी हमारा क़ानून इसे अपराध नहीं मानता.

दिए जाते हैं बेहूदा तर्क:
मेरिटल रेप को अपराध न मानने के लिए जो तर्क दिए जाते हैं, वो औरत की सहमति को महत्वहीन मानने की मानसिकता को दर्शाते हैं. क़ानून का दुरुपयोग न हो, इसलिए इसके लिए क़ानून नहीं बनाया गया. क्या वाकयी? वैसे दुरूपयोग किस क़ानून का नहीं होता? क्या दुरूपयोग को रोकने का यही तरीका है कि क़ानून ही न बनाये जायें? भारत में एक पीड़िता को ही ये साबित करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है कि उसका बलात्कार हुआ है. आरोपी को भी खुद को निर्दोष साबित करने के पर्याप्त मौके दिए जाते हैं, ऐसे में क्यों इसी एक क़ानून के दुरुपयोग का भय इतना ज़्यादा है?
महिलाओं को समाज में समान अधिकार प्राप्त नहीं है, इसके लिए तमाम आन्दोलन भी होते रहते हैं. लेकिन हर जीव का अपने शरीर पर पूरा अधिकार होता है, अगर शादी के बाद औरत से ये अधिकार भी छिन जाता है, तो ये कहना गलत नहीं होगा कि औरतों को जानवरों से बद्तर ज़िन्दगी मिली है.
एक रेपिस्ट, रेपिस्ट ही होता है. शादी के रूप में उसे सुरक्षाकवच दे दिया जाना, इस अपराध के प्रति संवेदनहीनता का प्रतीक है. अगर भारतीय क़ानून के अनुसार, क्रूरता को तलाक़ का आधार बनाया जा सकता है, तो क्या रेप क्रूरता नहीं है? अगर है, तो ये तलाक का आधार क्यों नहीं बन सकता? ये कुछ सवाल हैं, जिनके बारे में हर एक नागरिक को सोचने की ज़रूरत है, ताकि सिस्टम को भी इनके बारे में सोचने पर मजबूर होना पड़े और वो क़ानून बनाया जा सके, जिसे बहुत पहले ही बना दिया जाना चाहिए था. अगर शादी के बाद बेटियों का रेप क़ानून की नज़र में गलत नहीं है, तो 'बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ' जैसे आन्दोलन अर्थहीन हो जाते हैं.

By
Komal

पीरियड्स का पहला दिन:

पीरियड्स का पहला दिन: दर्द रीढ़ के निचले हिस्से को सुन्न करता हुआ कमर और जाँघों तक फैल गया है. शदीद दर्द से आँखे बंद सी हुई जा रही हैं. घड़ी 8 बजा रही है, आफिस की सोचकर दिमाग भी सुन्न हुआ जा रहा है. फोन उठाती हूँ ..सर से बता दूँ कि तबियत ठीक नही है. सर बेहद को ऑपरेटिव हैं लेकिन इसके बावजूद फोन नही कर पाती..यह तो हर महीने की कहानी है. कुल जमा 14 कैजुअल लीव इन पर खर्च कर दी तो बाकी जरूरतों में क्या करेंगे.
खुद को धकेल कर बाथरूम तक ले जाती हूँ. बाल धुलकर खुले छोड़ दिए हैं. मेकअप थोड़ा और करीने से किया है कि तबियत की डलनेस कम से कम बाहर से न दिखे. काले और लाल रंग के कॉम्बिनेशन पहनना है जिससे 7 घण्टे की ड्यूटी में अगर कपड़े खराब हो भी जाएँ तो पता न चले.
इतनी तैयारी के बावजूद बस चलते ही सीट से सर टिका देती हूँ.बदन ढीला पड़ रहा है और दर्द की तेज लहर रीढ़ से होकर कमर और जाँघों तक फैल रही है..
पीरियड्स पर बात करना फैशन नही है. यह महीने के उन दिनों के दर्द को कहना भर है जिससे निजात पाने का कोई रास्ता हाल-फिलहाल नज़र नही आता.

प्रिय पतिदेव,

नहीं कहती हूँ आपसे कि चाँद -तारे तोडकर लाओ,
पर जब आते हो, एक मुस्कान साथ लाया करो..!!

नहीं कहती, के मुझे सबसे ज्यादा चाहो,
पर एक नज़र प्यार से तो उठाया करो..!!

नही कहती, के बाहर खिलाने ले जाओ,
पर एक पहर साथ बैठ के तो खाया करो..!!

नही कहती, के हाथ बंटाओ मेरा,
पर कितना करती हूँ, देख तो जाया करो..!!

नही कहती, के हाथ पकड के चलो मेरा,
पर कभी दो कदम साथ तो आया करो..!!

यूँ ही गुज़र जाएगा जिंदगी का सफ़र भागते भागते,
एक पल थक के साथ तो बैठ जाया करो..!!

नही कहती, के कई नामों से पुकारो,
एक बार फुर्सत से "सुनो" ही कह जाया करो..!!

नहीं कहती हूँ आपसे कि चाँद -तारे तोडकर लाओ,
पर जब आते हो, एक मुस्कान साथ लाया करो..!

लड़कियों के लिए साँवलापन होना अभिशाप है क्या ?

अँगूठी पहनाई जा चुकी थी।सब अब खाने की प्लेट ले कर अपना-अपना कोना पकड़ चुके थे।
नेहा अब अपनी सहेली और होने वाली जेठानी व नन्द के साथ सिमटीं-सिकुड़ी बैठी थी।
इधर-उधर की बातें चल रही थी, इतने में सासु माँ कमरे में आयी और नेहा के पास बैठते हुए बोली,
" देखो नेहा अब शादी में कुछ ही दिन बचें हैं,
तो धूप में कम निकलना। बेसन, दही, और हल्दी का लेप रोज़ रात को लगाया करना। उससे रंग साफ़ हो जाएगा।"
नेहा ने हाँ में सिर हिला दिया।
अब जेठानी चहकते हुए बताने लगी, " हाँ नींबू और टमाटर का रस लगाओ तो रंग साफ़ हो जाएगा।
देवर जी को गोरी-चिटटी लड़कियाँ पसंद हैं, मेरे जैसी"
और खिलखिला कर हँस पड़ी। फिर माहौल हल्का हो गया।
ख़ैर, धीरे-धीरे कर के शादी के दिन नज़दीक आने लगे।
जब तब ससुराल से फ़ोन आता तो घर में रहने, ऑफ़िस से जल्दी आने व धूप में कम निकलने की हिदायत मिलने लगी।
आकाश भी जब फ़ोन करता तो अधिकतर, उसके साँवलेपन को ले कर छेड़ दिया करता था, तो कभी सीरीयस हो कर कहता, " नेहा मुझे तुम्हारे साँवलेपन से कोई शिकायत नही है,
मगर मम्मी का अरमान है कि बहुएँ उनकी 'Milky-white' हों। अब भाभी तो हैं, तुम थोड़ी साँवली हो, तो वो जो टिप्स देती हैं मान लो न। आख़िर ख़ूबसूरत तो तुम ही दिखोगी।"
नेहा जवाब देना तो चाहती मगर मम्मी की हिदायत कि वजह से चुप रह जाती। अपनी चिढ़ मम्मी पर निकालती, तो मम्मी कहती,
"अरे इतने बड़े घर में रिश्ता हो रहा है,
सिर्फ़ इसलिए कि तू बैंक में नौकरी करने लगी,
वरना एक साधारण मास्टर की बेटी की शादी कभी हो पाती क्या वहाँ।
तू देख, वो रईस लोग हैं।
बड़े लोगों के बीच उनका उठना-बैठना है।
सोसाइटी मेंटेन करते हैं वो।
तू क़िस्मत वाली है की तेरे ऐसे रंग-रूप के बाद भी उन्होंने तुम्हें चुना है।
" फिर नेहा चुप हो जाती।
उसे भी लगता की मम्मी सच ही तो कह रही है।
सोचती की बदलते वक़्त के साथ सब ठीक हो जाएगा।
लेकिन जैसे-जैसे दिन नज़दीक आने लगे, सासु-माँ, और आकाश का ये प्रेशर बढ़ने लगा।
नेहा ये सब इग्नोर करना तो चाहती मगर कर नही पाती।
फिर ख़ुद में अन्दर ही अन्दर और चिढ़ने लगी।
जो रंग खिलना चाहिए था, ऊबटन लगने के बाद वो और मुरझाने लगा।
शादी से एक सप्ताह पहले आकाश का जन्मदिन था।
आकाश ने पार्टी में नेहा को भी बुलाया था।
सासु माँ ने पहले ही फ़ोन पर समझा दिया था कि पार्लर होती हुई पार्टी में आए।
माँ ने भी भाई के साथ पार्लर भेज दिया।
नेहा जब पार्टी में भाई के साथ पहुँची तो उसे देखते ही,
सासु माँ लाल-पीली होने लगी।
बड़ी बहु को बुला कर इन्स्ट्रक्शन दिया कि
"ले जाओ इसे बाथरूम में और अपने मेक-अप से तैयार कर दो।"
मगर नेहा नही गयी। वहीं खड़ी रही।
सासु-माँ के तलवे का ग़ुस्सा सिर पर चढ़ गया और लगभग धक्का देते हुए नेहा को बोलीं,
" न रंग है न रूप, फिर तुम्हें घमंड किस बात का है।
हम ने अपने से नीच घर से रिश्ता जोड़ कर ग़लती कर दी।"
इतने में आकाश भी आ गया वहाँ, हल्ला सुन कर और नेहा का हाथ पकड़ कर बाथरूम की तरफ़ भाभी के साथ बढ़ने लगा।
नेहा ने धीरे से उसके हाथ से अपने हाथ को आज़ाद करवाते हुए वापिस सासु माँ की तरफ़ बढ़ने लगी और उनके क़रीब जा कर बोली,
"हाँ, मैं साधारण घर से हूँ। मेरा रंग साँवला है।
मुझे घमंड तो नही मगर गर्व है अपने आप पर।
मैं अपनी कड़ी मेहनत से आज एक छोटे से मुक़ाम पर हूँ,
और हाँ मेरे घरवाले आपके जितने रईस तो नही,
मगर उनमें इतना संस्कार तो है की,
इंसान को इंसान समझते हैं,
उन्हें रंग-रूप के आधार पर तौलते नही हैं..
और आकाश तुम .. ख़ैर तुमसे कोई शिकायत नही है,
क्यूँकि तुमने बचपन से ही यही देखा है, की औरतें सजावटी समान हैं,
तो उनका well decorated होना लाज़मी है।
" कहते हुए उसने अपनी अँगूठी निकाल कर अपनी होने वाली सास के हाथ में थमा दी और भाई का हाथ पकड़ कर,
हॉल से बाहर निकल गयी,
"" एक आज़ाद हवा के झोंके की तरह.......

नज़र

औरत के कपड़े कम हुए...!

नंगे कमबख्त मर्द हुए.....!!

Life with Wife

Never laugh at your wife's choices. You are one of them. Partners for life!!

Virgin-holic वर्जिनहोलिक

देश में बड़ी संख्या में होनहार लड़के वर्जिनहोलिक से ग्रसित हैं।
कॉलेज के बाहर खड़े 3 दोस्त बातें कर रहे है।
दूसरा दोस्त पहले से बोलता है तेरी गर्लफ्रेंड का कॉल आया है। परेशान लग रही थी। कॉल करले उसे।
पहला दोस्त- अरे यार शादी के लिए पीछे पड़ी है। कह रही है अब तो प्लेसमेंट हो गया अब शादी करते है।
तीसरा दोस्त कहता है, ठीक ही तो कह रही है। तू भी तो शादी करना चाहता था न उसी से। कैसे उसकी एक हां के लिए तू हमसे रात भर आईडिया मांगता था। तो करले अब। अगली रेड़ी है।
पहला दोस्त- अरे यार अब वो बात नहीं रही। तुम्हे पता है वो शादी से पहले ही मेरे साथ कई बार सेक्स कर चुकी हूँ।
दूसरा दोस्त- अबे साले! तेरी गर्लफ्रेंड है तो तेरे साथ ही करेगी। इसमें कौनसी बड़ी बात हैं।
पहला दोस्त- अरे यार सुनो, मैंने उसे ज्यादा फ़ोर्स भी नहीं किया था। सिर्फ 4 बार बोला और वो रेड़ी हो गयी। उसे तो मना करना चाहिए था। वो लड़की हैं।
ऐसे जैसे मेरे साथ कर लिया ऐसे तो पता नहीं किस किस के साथ किया होगा।
मुझे नहीं करनी ऐसी लड़की से शादी।
दूसरा दोस्त कुछ समझाता उस से पहले ही पहले दोस्त ने बात काट दी और बोला- यार प्लीज़, कुछ और बात करते हैं। मेरे पेरेंट्स ऐसी लड़की के लिए कभी राज़ी नहीं होंगे।
.
.
.
पिछले 2 सालो में -
उसके साथ आगरा घूमा जा सकता है, नैनीताल घूमा जा सकता है, बर्थडे केक काटे जा सकते है, वलेंटाइन पर गिफ्ट्स लिए दिए जा सकते है। उसकी पसंद की टी शर्ट पहनी जा सकती हैं, साथ बैठकर स्टडी की जा सकती हैं। उसके लिए क्लास बंक की जा सकती हैं। उसके साथ गोल्डन टेम्पल माथा टेका जा सकता हैं। उसका झूठा खाना खाया जा सकता है......
लेकिन...
शादी नहीं की जा सकती।
शादी के लिए वर्जिनिटी चाहिए।
चाहे वो वर्जिनिटी खुद ही ने ली हो तब भी।
बचपन से वर्जिनिटी की बाते सुन सुनकर वर्जिनहोलिक हो गए।
--------

दहेज़ और आग

दहेज़ के लिय किसी लड़की को मत सतावो
की वो मरने पर मजबूर हो जाये
मर्द हो तो उसे कमाकर खिलावो

औरतें...

support a women
save women
safe women

औरत होने के लिहाफ़ में भी कई तरह की औरतें बनाई जाती हैं, ग़ौर कीजिएगा होती नहीं बल्कि बना दी जाती हैं
जैसे कि..
रंडी हो रंडि से थोड़ा कम हो या बीवी हो मगर औरत है,
मेरे किसी दोस्त के लिए औरत पहले इंसान है
मेरे लिए नाचने वाली हो वेश्या हो या पत्नी हो पहले औरत है बाद में भी औरत ही है.. माइंड ईट 😡
माँ-भाई के लिए दुपट्टा ओढ़े हुए और ढकी हुई पोशाक पहनने वाली ही औरत होनी चाहिए
मेरे पिता कि लिए ख़ुद के दम पर हर स्थिति, देश या विदेश में ख़ुद को साबित करने वाली और डटकर सामने खड़ी होने वाली ही औरत है, होनी चाहिए
मेरे कुछ और दोस्तों के लिए औरत ना आदमी से बढ़कर है ना कमतर है वो सिर्फ़ औरत है
कुछ संस्कृति के अपाहिज ठेकेदारों के लिए औरत शर्म और हया के चोले में चुपचाप कठपुतली की तरह बिना सवाल लिए नज़रें नीची रख कर जीवन यापन करती हुई अबला ही औरत है और "होनी ही चाहिए"
मगर एक बात बहुत खटकती है साहब के इन सब के बीच में
"चाहिए आपको औरत ही, औरत... औरत "
जिसका वजूद महज़ इतना ही है के वो चिरय्या बनी रहे और आपके फ़रमानों के, आपके उसूलों के, आपके मापदंडों के बीच समाज के हासिये पर तब तक लटकी रहे के जब तक आप बाज़ बनकर उसको नोंच नोंच के खा ना जाएँ,
कि जब तक आप उसकी अपनी मर्ज़ी, अपने अस्तित्व, अपनी ख़ुद की उड़ान के पर कुतर कुतर-कुतर कर भेड़िए की तरह नोंच ना लें...
औरतें बहुत बुरी होती हैं जब वो सोचने समझने और खड़ी होकर बोलने लगती हैं ... क्यूँ भाई ???
आख़िर वेजिना के होने से इतनी कोफ़्त क्यूँ ???
😡
नोट-
वैसे हैरानी नहीं होगी कि इस पोस्ट पर कॉमेंट्स ना के बराबर होंगे 😉
क्यूँकि जो लिखा गया है उसे पढ़कर ये ज़रूर हो सकता है कि मन ही मन वाह वाही कर दी जाए या गरियाया जाए
मगर अफ़सोस औरत हो या आदमी, इस पर टिप्पड़ि करने या अपना मत रखने की बेबाक़ी लाए कौन ?? 😆
ख़ैर... सोचिएगा ज़रूर 🤗

माँ का रूप अलौकिक होता है

आपने अपनी गंदी सोच के साथ नारी के निर्वस्त्र देह को खुब निहारा होगा
अब इस चित्र को देखें...इससे आपको, आपके अंदर के इंसान अथवा शैतान की झलक मिल जाएगी

माँ का रूप अलौकिक होता है
जीवन का अमृत पिलाते हुए यह पिक्चर माँ की महानता को दर्शाता है

अब से आप किसी नारी के वक्ष स्थल को अगर देखें तो उसके दूध रूपी अमृत सागर को ही ध्यान मे लाना श्रेष्ठकर होगा...