Monday, June 19, 2017

पीरियड्स का पहला दिन:

पीरियड्स का पहला दिन: दर्द रीढ़ के निचले हिस्से को सुन्न करता हुआ कमर और जाँघों तक फैल गया है. शदीद दर्द से आँखे बंद सी हुई जा रही हैं. घड़ी 8 बजा रही है, आफिस की सोचकर दिमाग भी सुन्न हुआ जा रहा है. फोन उठाती हूँ ..सर से बता दूँ कि तबियत ठीक नही है. सर बेहद को ऑपरेटिव हैं लेकिन इसके बावजूद फोन नही कर पाती..यह तो हर महीने की कहानी है. कुल जमा 14 कैजुअल लीव इन पर खर्च कर दी तो बाकी जरूरतों में क्या करेंगे.
खुद को धकेल कर बाथरूम तक ले जाती हूँ. बाल धुलकर खुले छोड़ दिए हैं. मेकअप थोड़ा और करीने से किया है कि तबियत की डलनेस कम से कम बाहर से न दिखे. काले और लाल रंग के कॉम्बिनेशन पहनना है जिससे 7 घण्टे की ड्यूटी में अगर कपड़े खराब हो भी जाएँ तो पता न चले.
इतनी तैयारी के बावजूद बस चलते ही सीट से सर टिका देती हूँ.बदन ढीला पड़ रहा है और दर्द की तेज लहर रीढ़ से होकर कमर और जाँघों तक फैल रही है..
पीरियड्स पर बात करना फैशन नही है. यह महीने के उन दिनों के दर्द को कहना भर है जिससे निजात पाने का कोई रास्ता हाल-फिलहाल नज़र नही आता.

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