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औरत होने के लिहाफ़ में भी कई तरह की औरतें बनाई जाती हैं, ग़ौर कीजिएगा होती नहीं बल्कि बना दी जाती हैं
जैसे कि..
रंडी हो रंडि से थोड़ा कम हो या बीवी हो मगर औरत है,
मेरे किसी दोस्त के लिए औरत पहले इंसान है
मेरे लिए नाचने वाली हो वेश्या हो या पत्नी हो पहले औरत है बाद में भी औरत ही है.. माइंड ईट 😡
माँ-भाई के लिए दुपट्टा ओढ़े हुए और ढकी हुई पोशाक पहनने वाली ही औरत होनी चाहिए
मेरे पिता कि लिए ख़ुद के दम पर हर स्थिति, देश या विदेश में ख़ुद को साबित करने वाली और डटकर सामने खड़ी होने वाली ही औरत है, होनी चाहिए
मेरे कुछ और दोस्तों के लिए औरत ना आदमी से बढ़कर है ना कमतर है वो सिर्फ़ औरत है
कुछ संस्कृति के अपाहिज ठेकेदारों के लिए औरत शर्म और हया के चोले में चुपचाप कठपुतली की तरह बिना सवाल लिए नज़रें नीची रख कर जीवन यापन करती हुई अबला ही औरत है और "होनी ही चाहिए"
मगर एक बात बहुत खटकती है साहब के इन सब के बीच में
"चाहिए आपको औरत ही, औरत... औरत "
जिसका वजूद महज़ इतना ही है के वो चिरय्या बनी रहे और आपके फ़रमानों के, आपके उसूलों के, आपके मापदंडों के बीच समाज के हासिये पर तब तक लटकी रहे के जब तक आप बाज़ बनकर उसको नोंच नोंच के खा ना जाएँ,
कि जब तक आप उसकी अपनी मर्ज़ी, अपने अस्तित्व, अपनी ख़ुद की उड़ान के पर कुतर कुतर-कुतर कर भेड़िए की तरह नोंच ना लें...
औरतें बहुत बुरी होती हैं जब वो सोचने समझने और खड़ी होकर बोलने लगती हैं ... क्यूँ भाई ???
आख़िर वेजिना के होने से इतनी कोफ़्त क्यूँ ???
😡
नोट-
वैसे हैरानी नहीं होगी कि इस पोस्ट पर कॉमेंट्स ना के बराबर होंगे 😉
क्यूँकि जो लिखा गया है उसे पढ़कर ये ज़रूर हो सकता है कि मन ही मन वाह वाही कर दी जाए या गरियाया जाए
मगर अफ़सोस औरत हो या आदमी, इस पर टिप्पड़ि करने या अपना मत रखने की बेबाक़ी लाए कौन ?? 😆
ख़ैर... सोचिएगा ज़रूर 🤗
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