ऐसी बहुत सी महिलाएं हैं जो व्यभिचारी पति से तलाक नहीं लेना चाहतीं. तलाक भी वही ले सकती हैं जो सक्षम हैं, पढ़ी-लिखी हैं, आत्मनिर्भर हैं या फिर मायके वालों का पूरा सपोर्ट है. लेकिन जिनके पास ऐसा कुछ भी नहीं वो क्या करें?
जिस दिन सुप्रीम कोर्ट ने एडल्टरी लॉ पर फैसला सुनाया, ये बात उसी दिन पक्की हो गई थी कि आने वाला समय जो दिखाने वाला है उसके लिए हम सबको तैयार रहना चाहिए. हमारी या आपकी जिंदगियों पर सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला असल भले ही नहीं डालता हो लेकिन Adultery Law को खत्म करके उन लोगों की आंखों में चमक जरूर आ गई थी जो विवाहेतर संबंधों में लिप्त थे.
इस फैसले के साइड इफेक्ट तो होंगे पर इतनी जल्दी सामने आएंगे ये सोचा नहीं था. चेन्नई में एक 24 साल की महिला ने आत्महत्या कर ली. वजह ये कि जब महिला को पति के किसी दूसरी औरत के साथ संबंधों का पता चला तो उसने पति को उससे दूरी बनाने के लिए कहा और धमकाया भी कि वो पुलिस में शिकायत करेगी. लेकिन पति जिसे अब कोई डर नहीं था उसने कहा कि चूंकि सुप्रीमकोर्ट ने कहा है कि व्यभिचार अपराध नहीं है इसलिए तुम मुझे किसी और महिला के साथ संबंध रखने के लिए रोक नहीं सकतीं. महिला क्या करती, उसने फांसी लगा ली. अपने सुसाइड नोट में उसने आत्महत्या का कारण भी यही लिखा है. इन दोनों ने दो साल पहले परिवार के खिलाफ जाकर लव मैरिज की थी, एक बच्चा भी है. लेकिन पत्नी को टीबी हो गई जिसकी वजह से पति उससे दूर रहने लगा था. पति सिक्योरिटी गार्ड है. अब चूंकि सुसाइड नोट में कारण एडलटरी है, इसलिए पति पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा चलेगा.

पर अवैध संबंध अगर वैध करार दिए गए तो क्या इसका मतलब ये हुआ कि ये संबंध गर्व की बात है? इस फैसले से अवैध संबंधों की वजह से अब तक समाज से डर रहे लोग निडर हो गए, और इसीलिए खुलकर अपने संबंध स्वीकार करने लगे. लेकिन हमारा समाज इस लायक ही नहीं कि उसे भारी भरकम चीजें कानून के दायरे में रहकर समझाई जाएं. समाज के कुछ लोगों ने इस फैसले को अपना हक समझ लिया और विवाहेतर संबंधों को इस तरह लेने लगे जैसे वो संबंध सही हों.
सुप्रीम कोर्ट ने उन महिलाओं के हित में ये फैसला दिया था जो अपने व्यभिचारी पति के खिलाफ शिकायत नहीं कर सकती थीं. और इस बात को आधार बनाकर तलाक नहीं ले सकती थीं. लेकिन एडलटरी को असंवैधानिक कहने वाले सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से कुछ महिलाओं का तो अहित ही हुआ.
चेन्नई के इस मामले में वो महिला जो परिवार के खिलाफ जाकर शादी करती है. उसके एक बच्चा भी है, बीमारी की वजह से पति भी किसी दूसरी औरत के पास चला गया. ऐसी महिलाओं के पास सिवाए आत्महत्या के और चारा ही क्या बचता है. वो वापस मायके नहीं जा सकती, पति पर निर्भर है, पति को तलाक नहीं दे सकती, बच्चे को छोड़कर बाहर नौकरी नहीं कर सकती. ऐसी बहुत सी महिलाएं हैं जो तलाक नहीं लेना चाहतीं. तलाक भी वही ले सकती हैं जो सक्षम हैं, पढ़ी-लिखी हैं, आत्मनिर्भर हैं या फिर जिन्हें मायके वालों का पूरा सपोर्ट है. लेकिन जिनके पास ऐसा कुछ भी नहीं वो क्या करें?
कानून कहता है कि हिंदू धर्म में दो शादियां करना अवैध है, लेकिन पति कितने भी संबंध रख सकता है- वो वैध है. ये किस तरह का कानून है? मतलब पति अगर व्यभिचारी है तो पत्नी या तो पति को तलाक दे दे, या फिर खुद किसी के साथ संबंध बना ले या फिर आत्महत्या कर ले. यही बात अब पतियों पर भी लागू होती है.
चेन्नई की ये घटना सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का वो परिणाम था, जो अच्छा नहीं था. और न जाने कितने मामले हम आने वाले समय में देखें. लेकिन एक बात तो है कि अब दो लोगों के बीच जन्मों का बंधन जिसे शादी कहा जाता है, उसकी कीमत और भी कम हो जाएगी. जाहिर है जब तलाक के मामले बढ़ेंगे तो शादियों की अहमियत खुद ब खुद घट जाएगी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर समाज खुद सोचे कि अवैध संबंधों को वैध करार देने से व्यभिचार नैतिक रूप से स्वीकार्य नहीं हो जाता. जिस बात पर शर्म आती थी उसे कम से कम बेशर्मी न बनाया जाए.
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