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आपको क्या लगता है- रेप का मतलब क्या सिर्फ जबरजस्ती सेक्सुअली असाल्ट कर देना है?
अगर आप ऐसा ही सोचते है तो बुरा मत मानियेगा ~ आपके अंदर भी एक संभावित रेपिस्ट बैठा हुआ. रेप केवल बलपूर्वक यौन भंग करना नही है. ये तो रेप का एक हिस्सा भर है. जिसमे एक व्यक्ति एक विक्टिम के साथ फिजिकली इनवॉल्व होता है. अगर रेप का मतलब सिर्फ इतना ही होता, तो विक्टिम का इस हादसे से निकलना उतना मुश्किल भी नही होता. लेकिन ऐसा होता नही है. रेप तो इससे भी broader-tragedy है. रेप दरअसल एक ऐसा सामजिक हादसा है, जो विक्टिम का जीना तक मुहाल कर देती है.विक्टिम के साथ फिजिकली इनवॉल्व व्यक्ति इस भयानक हादसे का एक हिस्सा भर होता है. देर सबेर कम ज्यादा सजा तो उसे मिल ही जाती है. लेकिन सोचने वाली बात है कि
-- क्या उस पूरे समाज को दंड मिलता है, जो रेप विक्टिम को इस नजर से देखने लगता है, जैसे उसका असाल्ट जबरजस्ती नही; बल्कि उसकी इच्छा से हुआ है?
-- क्या समाज रेप पीड़िता को गंदी और जहालत की नजर से नही देखता?
-- क्या रेप विक्टिम को लेकर एक गंदी सोच नही बन जाती? मुकरीएगा मत... क्या आप विक्टिम को देखकर मजा नही लेते?
-- क्या आप विक्टिम को सहज रूप में स्वीकार लेते है? कितने लोग ऐसे है, जो विक्टिम के साथ एक सामान्य व्यवहार रख पाते है?
-- मुझे लगता है कि ऐसे लोगो कि संख्या अंगुली पर गिनने भर होगी. यहाँ तक कि लोग फब्तियां कसते है. कुछ तो सहानुभूति रखने के बहाने भी उस विक्टिम को जलील करने की वजह खोजते रहते है.
जब ये बात सच है, तो रेप का दोषी (रेपिस्ट) तो इस पूरे हादसे का एक छोटा हिस्सा भर है, उससे बड़ा रेपिस्ट तो ये समाज और खुद घर परिवार के लोग है. जो पल पल विक्टिम को दोषी महसूस कराकर जिंदा लाश में बदल देते है.
सच तो ये है कि रेप के दोषी से बड़ा रेपिस्ट वह समाज है, जो यौन भंग को जीवन मरण का मसला बना देता है. जिस दृष्टिकोण से में ये बात लिख रही हूँ, उस हिसाब से क्या समाज रेपिस्ट नही है???
हो सकता है कि रेपिस्ट किसी मनोविकार के वशीभूत रेप किया हो. लेकिन ये समाज... ये समाज तो सोच समझकर कर रेप करता है. रेपिस्ट तो एक बार रेप करता है. समाज तो हर रोज हर पल रेप करता है. आंखो के इशारो, भद्दी टिप्पणियॉ और कभी कभी सहानुभूति के द्वारा भी हम विक्टिम का रेप कर रहे होते है. रेपिस्ट तो सजा पा जायेगा. लेकिन उस समाज को आप कब फांसी पर लटकाओगे, जो रोज ही रेप करेगा...
जानती हूँ आप इस बात से मुकरेगे. शौक से मुकरीये. लेकिन सोचियेगा अगर ऐसा नही होता तो विक्टिम और उसकी फैमिली को इलाका बदलने की बात ही क्यो आती? तो इस समाज को साइलेंट रेपिस्ट क्यो नही कहा जाये? उसकी भी सजा क्यो ना मुकर्रर हो? लेकिन आप आखिर समझेंगे भी तो कैसे? आखिर आप भी तो उस समाज के हिस्से हैं. दो व्यस्क प्रेमी के मिलन को तो आप सहजता से लेते नही, रेप विक्टिम को क्या खाक सहज ढंग से लेंगे....
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मेरी लिखी बातों को हर कोई समझ नही सकता,क्योंकि मैं अहसास लिखती हूँ,और लोग अल्फ़ाज पढ़ते हैं..! अनुश्री__________________________________________A6
Saturday, August 6, 2016
#सोसाइटी_इज_साइलेंट_रेपिस्ट_हैंग_इट_फर्स्ट
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